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ब्लर्ब में
बोर्ड के परीक्षा परिणाम में पिछडऩे वाले सरकारी स्कूलों ने भी निजी स्कूलों को टक्कर दी है। विज्ञान, कला संकाय में शीर्ष स्थान झटकने वाले सरकारी स्कूल के विद्यार्थी रहे
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परीक्षा किसी भी व्यक्ति की योग्यता का आकलन करने का पैमाना है। परीक्षा विद्यार्थी की गंभीरता बढ़ाती है व इससे पता चलता है कि विद्यार्थी में क्या खूबियां या खामियां है। इसका डर विद्यार्थी के दिलोदिमाग पर छाया रहता है। परीक्षा की चुनौती में सफलता हासिल करने के बाद जो खुशी विद्यार्थी के चेहरे पर झलकती है, उसे दूसरा कोई महसूस नहीं कर सकता। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जमा दो के घोषित परिणाम में प्रदेश की युवा प्रतिभाओं ने चमक बिखेरी है। कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और शिखर पर पहुंचकर दिखाया। हमीरपुर की वंदना की मां ने दिहाड़ी लगाकर बेटी को पढ़ाया और उसने जज्बे व मेहनत से मेरिट में जगह बनाई। नाहन की बुशरा के पिता मजदूरी करते हैं। अभावों के बावजूद इस बेटी ने प्रदेशभर में कला संकाय में दूसरा स्थान झटक पिता की मेहनत को व्यर्थ नहीं जाने दिया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां बच्चों ने हार नहीं मानी और सपनों की उड़ान में बाधाओं को आड़े नहीं आने दिया। जमा दो के इस बार परिणाम में कई सुखद पहलू देखने को मिले, जैसे तीनों संकायों की ओवरऑल मेरिट सूची में आए कुल 29 विद्यार्थियों में से 16 लड़कियां हैं तो 13 लड़के। हालांकि तीनों संकाय में अलग-अलग 55 बच्चे मेरिट में हैं, जिनमें से 38 बेटियां हैं। बेटियों ने परीक्षा परिणाम में अपनी बादशाहत कायम रखने के सिलसिले को टूटने नहीं दिया है। आम तौर पर स्कूल शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणामों में फिसड्डी माने जाने वाले सरकारी स्कूलों ने भी इस बार निजी स्कूलों को टक्कर दी है। विज्ञान व कला संकाय में शीर्ष स्थान झटकने वाले सरकारी स्कूल के ही विद्यार्थी रहे। तीनों संकाय में सरकारी स्कूलों के 17 विद्यार्थी शामिल हैं। यह परिवर्तन सुखद है और नि:संदेह निजी स्कूलों का मोह पालने वाले अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे। नतीजे आने के बाद अब अभिभावकों का दायित्व है कि बच्चों को करियर चुनने की आजादी दें और अपनी मर्जी उन पर न थोपें। अभाव के बावजूद शिक्षा पाने की ललक पाने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार को भी पहल करनी होगा ताकि मुश्किल वक्त किसी के बेहतर भविष्य की राह में बाधा न बन सके। परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले तमाम बच्चे बधाई के पात्र हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]