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ब्लर्ब में

सराहना करनी होगी बहादुर बेटी की, जिसने दूल्हा पक्ष की नाजायज मांगों के आगे खुद को टूटने नहीं दिया व मजबूती से लोभी लोगों को खरा सबक सिखाया। यह साहस उन लोगों के लिए नजीर है जो बेटियों को अभिशाप समझते हैं।
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शादी का पवित्र रिश्ता दो दिलों का बंधन ही नहीं बल्कि दो परिवारों के मिलन का माध्यम भी है। ऐसे रिश्ते के निर्वहन का कोई औचित्य नहीं जहां दोनों परिवारों के विचारों व संस्कारों में कोई अंतर दिखे। रिश्ते तभी सार्थक आकार ले सकते हैं, जब दोनों परिवारों के विचारों में सामजस्य हो। जब किसी में विवाह से पहले ही विचार न मिलें तो ऐसे बेमेल बंधन को जीवनभर चलाना एक बोझ को ढोने से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता। कांगड़ा जिले के जवाली की बेटी ने ऐसा ही साहस दिखाया, जो दूसरों को प्रेरणा देगा। शादी से पहले कई बार फोन पर दहेज में कार के लिए मांग करने वाले दूल्हे को मंडप में घुसने से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। बरात को बैरंग भेजकर इस युवती ने दिखा दिया कि नारी को कमजोर नहीं समझना चाहिए। सराहना करनी होगी इइस बहादुर बेटी की, जिसने दूल्हा पक्ष की नाजायज मांगों के आगे खुद को टूटने नहीं दिया और मजबूती से लोभी लोगों को खरा सबक सिखाया। यह साहस उन लोगों के लिए भी नजीर है जो बेटियों को अब भी अभिशाप समझते हैं। चाहे बेटी हो या बहू, दोनों को जीवन अपने तरीके से जीने का अधिकार है और किसी को यह हक नहीं है कि उनकी राह में बाधा बने। देवभूमि हिमाचल में पहले से हालात काफी सुधरे हैं, लेकिन यदा-कदा ऐसे मामले सामने आते रहे हैं, जब बेटियों का तिरस्कार झेलना पड़ता है। यह सोच समाज की सोच पर भी सवाल खड़े करती है। समझ से परे है कि अब भी कई लोग बेटी के जन्म को स्वीकार नहीं कर पाते। बेटी के जन्म की खबर मिलने पर चेहरे की खुशी अचानक गायब होने लगती है। बेटे के जन्म का जश्न मनाया जा ता है तो बेटी के जन्म पर क्यों ऐसा नहीं किया जाता। पुरुष प्रधान समाज की मानसिकता से निकलने का हौसला कब आएगा, इस सवाल का जवाब मिलना भी मुश्किल है। बेटियां तभी अनमोल हो सकेंगी, जब समाज उनकी कदर करने लगेगा। बेटियों ने हर मुकाम पर अपने आप को साबित कर दिखाया है। बेटों को प्राथमिकता देने के चलन में उन्हें मौके ही नहीं मिलेंगे तो वे कैसे खुद को साबित कर पाएंगी। आंगन में आकर बरात के लौटने से किसी भी पिता के दिल पर क्या गुजरती है यह कांगड़ा की इस बहादुर बेटी के पिता से बेहतर कोई और नहीं जान सकता, लेकिन दहेज के लोभी लोगों को सबक सिखाने के लिए यह बहादुर बेटी की यह नजीर कई लोगों की आंखें खोलने के लिए काफी है।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]