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देश की सबसे लंबी चनैनी-नाशरी सुरंग से न सिर्फ कश्मीर की दूरी कम होगी बल्कि जाम से निजात मिलने के साथ ही सैलानी भी आकर्षित होंगे
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दक्षिण पूर्व एशिया और देश की सबसे लंबी चनैनी-नाशरी सड़क सुरंग के बनने से न सिर्फ श्रीनगर के लिए दूरी कम हो जाएगी बल्कि इससे पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा। नौ किलोमीटर लंबी इस सुरंग का ट्रायल खत्म हो चुका है। ऐसी पूरी संभावना है कि इस माह के अंत तक इसका विधिवत उद्घाटन भी हो जाएगा। इस बार वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का जत्था भी यहीं से निकलेगा। यह श्रद्धालुओं के लिए भी रोमांचक होगा। जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग की इस समय जो स्थिति है, वह किसी से छुपी नहीं है। जगह-जगह पर भूस्खलन और जाम के कारण यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह राजमार्ग इसलिए भी अहम है क्योंकि इस पर राज्य की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक निर्भर है। श्री बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए हर साल आने वाले पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के अलावा लाखों पर्यटक कश्मीर में घूमने के लिए इसी राजमार्ग से आते हैं। विडंबना यह है कि कई बार जाम और पस्सियां गिरने के कारण राजमार्ग बंद होने से बाहर से आने वाले यात्रियों पर अच्छी छवि नहीं जाती। जम्मू से करीब तीन सौ किलोमीटर लंबे इस मार्ग की दूरी अब यह सुरंग बनने से तीस किलोमीटर कम हो गई है। यही नहीं, सुरंग की चौड़ाई भी 26 मीटर होने से यहां पर जाम और सड़क दुर्घटनाएं भी कम होंगी। इसके निर्माण से न सिर्फ श्रीनगर बल्कि डोडा, भद्रवाह और किश्तवाड़ जिले के लोगों को भी लाभ मिलेगा। जम्मू संभाग में पर्यटन के लिहाज से ये जिले काफी अहम हैं और इनमें पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। भद्रवाह को मिनी कश्मीर का दर्जा प्राप्त है। यहां की प्राकृतिक छटा पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है, लेकिन सड़कों की स्थिति अच्छी न होने के कारण पर्यटक वहां पर जाने से कतराते हैं। अब केंद्र सरकार को चाहिए कि वह जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को फोरलेन बनाने के लिए युद्धस्तर पर काम करवाए। सड़क मार्ग जितने अच्छे होंगे और वहां पर सुविधाएं होंगी, पर्यटक भी उतनी ही संख्या में वहां पर आएंगे। कश्मीर को पहले से ही धरती का स्वर्ग कहा जाता है। ऐसे में अगर इस मार्ग की स्थिति बेहतर होगी और इस प्रकार के आधुनिक सुविधाओं से लैस सुरंग होंगी तो यह राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सोने पर सुहागा जैसा होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]