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मां वैष्णो देवी के दर्शनों कर लौटे श्रद्धालु थके होते हैं, भक्तों की मजबूरी का फायदा उठाने से भी एजेंट बाज नहीं आ रहे हैं, आरक्षण केंद्र में लगे कैमरे भी खराब पड़े हैं
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जम्मू रेलवे स्टेशन के टिकट आरक्षण केंद्र में यात्रियों के बजाए एजेंटों का बोलबाला गहन चिंता का विषय है। विडंबना यह है कि आरक्षण केंद्र में दिव्यांगों और बुजुर्गों की खिड़कियों के सामने एजेंटों की लाइन लगे होने से जाहिर है कि टिकटों की कालाबाजारी जोरों से चल रही है। हद तो यह है कि यह गोरखधंधा पुलिस की देखरेख में हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में हर साल गर्मियों की छुट्टियों में देशभर से लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। इनमें अधिकतर मां वैष्णो देवी के दर्शनों को आने वाले श्रद्धालु होते हैं। यात्रा के बाद थकावट से चूर इन श्रद्धालुओं की मजबूरी का फायदा उठाने से एजेंट बाज नहीं आ रहे हैं। इनमें कई बुजुर्ग और दिव्यांग लोग भी होते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि कालाबाजारी का यह धंधा रेलवे अधिकारियों और जनरल रेलवे पुलिस की मिलीभगत से चल रहा है। बेशक रेलवे मंत्रालय ने आरक्षण केंद्र में सीसीटीवी कैमरे लगाएं हैं ताकि टिकटों के आरक्षण में पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन आरक्षण केंद्र में लगे कैमरे खराब पड़े हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इन कैमरों को भी किसी साजिश के तहत बंद किया गया हो। जो यात्री टिकट के अलावा पांच सौ से हजार रुपये अधिक देने को राजी हो जाते हैं, उन्हें एजेंट आसानी से टिकट बनवा देते हैं। वैसे जम्मू आने-जाने वाली ट्रेनें फुल चल रही हैं। इनमें एक माह तक आरक्षण संभव नहीं है। टिकटों का यह खेल बुकिंग क्लर्क की मर्जी से होता है। आरक्षण केंद्र में एजेंटों का अधिपत्य बने रहने की यह कोई नई बात नहीं हैं। इससे पहले वर्ष 2010 में सीबीआइ की टीम ने आरक्षण केंद्र में छापा मार कर कुछ एजेंटों को गिरफ्तार किया था। रेलवे अधिकारियों को यह भी सोचना होगा कि लाइनों में लगने वालों में सेना के वे जवान भी होते हैं, जो आतंकवाद क्षेत्रों में ड्यूटी के बाद साल में एक बार छुट्टी जाने के लिए लाइनों में यात्रा वारंट को लेकर टिकट बनवाने के लिए आए होते हैं। देश के ये जवान जो पूरी ईमानदारी और निष्ठा से देश की सुरक्षा में दिन रात एक कर रहे होते हैं, जब वे जिंदगी के दूसरे पेहलु को देखते होंगे तो उन पर क्या गुजरती होगी। रेलवे मंत्रालय को चाहिए कि वह मामले की गंभीरता को ले और जो भी इसमें दोषी पाया जाए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]