प्रदेश के तमाम सरकारी व निजी अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए सरकार व शासन को ठोस कदम उठाने चाहिए।

प्रदेश में सरकारी एवं निजी अस्पतालों से निकल रहे बायोमेडिकल कचरे के निस्तारण के लिए ठोस कदम न उठाया जाना बेहद चिंताजनक है। जिस प्रकार अस्पताल चिकित्सीय कचरा खुले में ही फेंक रहे हैं, वह आमजन के लिए खासा घातक साबित हो सकता है। यह बात प्रमाणिक भी है कि यह कचरा बेहद हानिकारक है। इसके बावजूद इसके निस्तारण के लिए अभी तक कोई ठोस कदम न उठाया जाना सीधे सरकार व सिस्टम की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर रहा है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए पूर्व में कोई योजना नहीं बन पाई है। योजनाएं बनी हैं लेकिन इन पर धरातल पर कितना काम हो रहा है, इसकी निगरानी नहीं हो रही है। दरअसल, अस्पतालों से निकलने वाला कूड़ा इतना हानिकारक होता है कि इसे सामान्य कूड़े के साथ फेंका नहीं जा सकता। इस बायोमेडिकल वेस्ट के ट्रीटमेंट के लिए गढ़वाल व कुमाऊं में स्वास्थ्य प्रदूषण नियंत्रण समिति को अधिकृत किया गया है। अस्पतालों से निकलने वाले कूड़े के लिए जैव चिकित्सा अपशिष्ट केंद्र भी बनाया गया है। यह व्यवस्था की गई है कि अस्पतालों का कूड़ा नियमित रूप से इन केंद्रों तक पहुंचता रहे। इसके लिए अस्पतालों से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राधिकार लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बावजूद इसके अभी भी कई अस्पतालों के पास लाइसेंस नहीं हैं। जैविक कूड़ा फैलाने वाले में अधिकांश वे अस्पताल शामिल हैं जो इलाज के लिए अच्छा खासा शुल्क वसूलते हैं। सेवा का भाव तो दूर, ये अपने नैतिक कत्र्तव्यों से भी मुंह मोड़ रहे हैं। इन अस्पतालों का कूड़ा पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के चिह्नित केंद्रों की जगह शहरों के कूड़ेदान के साथ ही ट्रेचिंग ग्राउंड तक पहुंच रहा है। कई बार तो यह बायोमेडिकल वेस्ट खाली प्लाटों में भी जलाया जा रहा है। इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की है लेकिन यह अपने अधिकारों का पूरा प्रयोग नहीं कर रहा है। स्थिति यह है कि बोर्ड अभी तक पॉलीथिन बिक्री पर रोक के आदेशों को भी धरातल पर लागू नहीं कर पाया है। इसके लिए शासन-प्रशासन की सुस्त कार्यशैली भी जिम्मेदार है। सरकार को इस विषय को गंभीरता से लेना होगा। अभी भले ही इस पर रोक लगाने के लिए सख्ती करने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इन दावों को धरातल पर उतारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]