केंद्र सरकार ने अंतत: बिहार की राजधानी पटना को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल कर लिया। पटना के अलावा मुजफ्फरपुर भी इस योजना में शामिल किया गया है। भागलपुर पहले ही स्मार्ट सिटी योजना का हिस्सा है। इस तरह राज्य के तीनों प्रमुख शहर स्मार्ट बनने की राह पर आ चुके हैं। पटना को इस योजना में शामिल किए जाने पर शासन-प्रशासन से लेकर आम लोगों तक को सुकून की अनुभूाति हुई होगी। दरअसल, योजना का भौतिक महत्व अपनी जगह है।

पटना को अब तक इस योजना में शामिल नहीं किए जाने को अलग-अलग नजरिए से देखा जा रहा था। जब पटना को छोड़कर भागलपुर को इस योजना में शामिल किया गया तो लोगों का चौंकना स्वाभाविक था। यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठा कि स्मार्ट सिटी योजना के मानकों की कसौटी पर पटना की स्थिति भागलपुर से भी गई-गुजरी है? यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी। इसे लेकर राजनीतिक पक्षपात के सवाल भी खड़े किए गए। बहरहाल, अब ये सब गुजरे समय की बातें हैं। पटना और मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी योजना के अंग बन चुके हैं।

इसके तहत तीनों शहरों को इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए केंद्र सरकार से सालाना अनुदान मिलेगा। इसमें राज्य सरकार भी अपना अंश जोड़ेगी। अब यह इन शहरों के नागरिकों के चिंतन का विषय है कि वे खुद को किस तरह इस योजना से जोड़ सकते हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास अपनी जगह है। इसे लेकर नागरिकों की सोच और जीवनशैली कैसी है, यह भी अहम बात है। जब तक नागरिकों में सामुदायिक सद्भाव, नागरिक बोध, बुजुर्गो और महिलाओं के प्रति सम्मान, विरासत के प्रति मोह, सार्वजनिक संपत्तियों के रखरखाव के प्रति जिम्मेदारी का भाव, गंगा व जलाशयों की स्वच्छता का संकल्प तथा अपने शहर को हरा-भरा रखने का दायित्व बोध नहीं होगा, तब तक सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करके किसी शहर को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता।

बिहार के शहर, खासकर पटना अपनी शानदार सांस्कृतिक व शैक्षिक विरासत के लिए इतिहास में खास दर्जा रखते हैं। इस गर्व के साथ पटना, भागलपुर और मुजफ्फरपुर के नागरिक प्रगति के पथ पर आगे बढ़ें तो कोई वजह नहीं कि बिहार स्मार्टनेस के मामले में देश-दुनिया के बाकी शहरों का मुकाबला न कर सके।

[बिहार संपादकीय]