उत्तर बंगाल के पहाड़ और मैदानी भाग सिलीगुड़ी में बांग्ला भाषा को स्कूलों में अनिवार्य करने के विरोध में जब आंदोलन शुरू हुआ तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एकाएक पीछे हट गईं। सोमवार को जब वह पहाड़ दौरे पर गईं तो गोरखा जनमुक्ति के समर्थकों ने उन्हें काला झंडा दिखाया, लेकिन पुलिस की सक्रियता पर प्रदर्शनकारी दुबक गए। मुख्यमंत्री मामले की गंभीरता को नजरंदाज नहीं कर सकीं। उन्होंने मिरिक में जब सभा को संबोधित किया तो सार्वजनिक मंच से कहा कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा बांग्ला भाषा को लेकर अफवाह फैला रहा है। उन्होंने दसवीं कक्षा तक स्कूलों में बांग्ला अनिवार्य करने की बात नहीं कही है। पहाड़ में छात्र चौथी भाषा के रूप में बांग्ला भाषा को ऐच्छिक रूप में लेकर पढ़ते हैं तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कुछ लोग बेवजह विभेद पैदा कर रहे हैं, लेकिन वह किसी की धमकी से डरने वाली नहीं हैं।
पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निजी स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक में दसवीं कक्षा तक सभी स्कूलों में बांग्ला अनिवार्य करने की घोषणा की थी। हालांकि बैठक में स्कूल प्रबंधन की ओर से तब किसी ने सवाल नहीं उठाया, लेकिन बाद में यह मामला तूल पकडऩे लगा। सरकार के इस फरमान पर सबसे पहले पहाड़ में विरोध के स्वर उठे। विरोध की चिंगारी देखते-देखते मैदानी भाग सिलीगुड़ी में भी फूट पड़ी। सरकार की शिक्षा विरोधी नीति के विरोध में सिलीगुड़ी में 'मातभाषा बुलाउदेउछु' नामक एक संगठन के बैनर तले लोग आंदोलन के लिए एकजुट हुए। पहाड़ में आंदोलन के उग्र होते देख मुख्यमंत्री को अपना बयान तक बदलना पड़ा। यू टर्न लेते हुए मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि उन्होंने पहाड़ में बांग्ला भाषा को अनिवार्य करने की बात नहीं कही है। मुख्यमंत्री के इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने के बावजूद पहाड़ में इसे लेकर आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। पहाड़ में आंदोलन के कारण मुख्यमंत्री पीछे हट गई लेकिन दक्षिण बंगाल के स्कूलों में उनका रुख क्या होगा इसका खुलासा अभी उन्होंने नहीं किया है। इस मामले में पूरे राज्य के लिए नियम सामान होना चाहिए। जब पहाड़ में छात्र ऐच्छिक तौर पर बांग्ला को चौथी भाषा के रूप में पढ़ सकते हैं तो दक्षिण बंगाल में भी यही नियम लागू होना चाहिए। अगर नियम समान नहीं होगा तो पहाड़ से शुरू हुआ आंदोलन पूरे राज्य में फैल सकता है।
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(हाईलाइटर::: पहाड़ में आंदोलन के कारण मुख्यमंत्री पीछे हट गई, लेकिन दक्षिण बंगाल के स्कूलों में उनका रुख क्या होगा इसका खुलासा अभी उन्होंने नहीं किया है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]