बिहार कर्मचारी चयन आयोग के पेपर लीक मामले की जांच अब तक सही दिशा में जा रही है। इस दिशा को बरकरार रखना होगा। जिस समझदारी का परिचय देते हुए एसआइटी ने तथ्य जुटाए हैं, वे काफी महत्वपूर्ण हैं। चिंता इस बात की है कि इस जांच पर अब दबाव का साया गहराता दिख रहा है। जांच के क्रम में बीएसएससी के अध्यक्ष तक एसआइटी पहुंच गई। गड़बड़ी की जद में एक आइएएस अधिकारी के आने के बाद स्थितियां बदलने लगीं। माहौल कुछ इस कदर बनाया जाने लगा कि जांच की दिशा सही नहीं है। इसकी सीबीआइ जांच की मांग उठने लगी। ऐसी नौबत एसआइटी की मेहनत पर पानी फेरने जैसा है। एसआइटी ने जांच का जो तरीका अपनाया, उससे स्पष्ट होता है कि इन गड़बडिय़ों से अध्यक्ष वाकिफ थे। उन्हें कई नेताओं ने एसएमएस कर अपने अभ्यर्थी को मदद करने का आग्र्रह किया था। सवाल यह उठता है कि यदि ये एसएमएस अध्यक्ष को आपत्तिजनक लगे थे, तो इसकी शिकायत पुलिस को क्यों नहीं की गई? पुलिस ने उन नेताओं की सूची भी तैयार की है। उनसे पूछताछ की योजना भी है। इसी बीच बड़े नेताओं के बयान भी आने लगे। ये बयान अध्यक्ष को साफ सुथरा होने का प्रमाणपत्र देते प्रतीत होते हैं। किसी गंभीर जांच के दौरान ऐसे बयानों से बचना होगा, ताकि जांच की त्वरा पर असर न पड़े। यूं कहा जाए कि जांच का यह शुरुआती दौर है और एसआइटी ने अपेक्षाकृत ज्यादा से ज्यादा तथ्य जुटा लिए हैं। यही आधार है जिसके बूते एसआइटी अध्यक्ष के रिश्तेदारों तक भी पहुंच गई है। अभी और गिरफ्तारियां शेष हैं। जैसा कि एसआइटी प्रमुख पटना एसएसपी ने कहा है कि अनुसंधान के दौरान आ रहे कई तथ्यों का खुलासा करना संभव नहीं है। इससे जांच प्रभावित होगी। जाहिर है, एसआइटी भी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। उसे भी भ्रष्टाचार के इस मामले में बड़े लोगों की संलिप्तता का एहसास है। आइएएस एसोसिएशन की बेचैनी समझी जा सकती है। एसोसिएशन यह मानकर चल रहा है कि अध्यक्ष मामले में बेदाग हैं। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। शुभचिंतक नेताओं के बयान भी इसी विचार से मेल खाते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात दोहराते हुए कहा था कि एसआइटी का गठन कर दिया गया है, गड़बड़ी करने वाले बख्शे नहीं जाएंगे। विश्वास किया जाना चाहिए कि एसआइटी की जांच पारदर्शी होगी और इसका सही फलाफल निकलेगा।
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हाईलाइटर
बीएसएससी पेपर लीक मामले की जांच में एसआइटी पर भरोसा किया जाना चाहिए। यदि साजिश के तहत अध्यक्ष को फंसाए जाने की बात है तो यह भी जांच में स्पष्ट हो जाएगा। जांच की त्वरा पर असर न पड़े, इसका ख्याल अधिकारियों और नेताओं को रखना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]