होना तो यह चाहिए कि साल भर किसानों की काउंसिलिंग के कार्यक्रम बनें। अभी तो स्थिति आग लगने पर कुआं खोदने जैसी है।

पिछले कुछ वर्षों की भांति इस बार भी गेहूं की नाड़ जलाने वालों पर सख्ती बरती जा रही है, कुछ किसानों पर मामले दर्ज किए गए हैैं अथवा जुर्माना किया गया है...और जागरूकता के नाम पर छिटपुट प्रयास। नतीजा यह है कि जैसे-जैसे सरकारी तंत्र द्वारा किसानों पर कार्रवाई की जा रही है वैसे -वैसे किसान भी मुखर होते जा रहा हैं। किसान नाड़ जलाने पर केस या जुर्माना किए जाने का मुखर होकर विरोध करने लगे हैैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए नाड़ या पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्ती जायज है लेकिन किसानों के विरोध की वजह को भी गंभीरता से देखा जाना चाहिए। केवल सख्ती कर देने मात्र से इस समस्या का हल नहीं निकलने वाला है। ऐसा लगता है कि जब खेतों में धुआं उठता है सरकारी तंत्र की आंखें तभी खुलती हैैं जबकि होना तो यह चाहिए कि केवल धान व गेहूं की कटाई के बाद ही नहीं बल्कि सारा साल इस दिशा में सार्थक प्रयास जारी रहें। इन प्रयासों में किसानों को निरंतर जागरूक करना और नाड़ या पराली के सुलभ विकल्प किसानों को उपलब्ध कराना है। विकल्प ऐसे होने चाहिए जो किसानों के लिए व्यावहारिक भी हों। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसान उन्हें आसानी से अपना ले। मामले दर्ज होने के खिलाफ प्रदर्शन पर उतरे किसानों की भी यही मांग है कि पहले उन्हें सही विकल्प प्रदान किया जाए। ऐसा किया भी जाना चाहिए। उसके बाद ही यह कल्पना की जा सकती है कि पंजाब के खेतों में फसलों के अपशिष्ट नहीं जलाए जाएंगे और हर साल पर्यावरण को भारी नुकसान से बचाया जा सकेगा। जहां तक अभी तक चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों का सवाल है तो वह भी केवल औपचारिकता, खानापूर्ति ही लगते हैैं। सरकार वाकई किसानों को जागरूक करने के प्रति कितनी संजीदा है यह इससे ही पता चलता है कि केवल उन्हीं दिनों में यह कार्यक्रम चलाया जाता है जब खेत धधक रहे होते हैैं। होना तो यह चाहिए कि साल भर किसानों की काउंसिलिंग के कार्यक्रम बनें। अभी तो स्थिति आग लगने पर कुआं खोदने जैसी है। इससे हालात सुधरने वाले नहीं हैैं। इसलिए जितना जरूरी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसानों पर कार्रवाई है, उतना ही जरूरी यह भी है कि किसानों जागरूक, प्रेरित किया जाए और उन्हें पराली के उपयोग के सस्ते व बेहतर विकल्प उपलब्ध कराए जाएं।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]