वेतन और भत्तों की मांग को लेकर एक बार फिर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाईकर्मियों का हड़ताल करना चिंताजनक है। इसे दिल्ली सरकार की अनदेखी भी कहा जा सकता है। दरअसल, नगर निगम और दिल्ली सरकार के बीच राजनीतिक रस्साकशी आम लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है। वैसे भी यह पहला मौका नहीं है, जब पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं।

बीते साल और इस साल जनवरी के महीने में भी सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। इसका नतीजा भी पूरी दिल्ली को भुगतना पड़ा था। यदि यह हड़ताल लंबी चली तो कूड़ा न उठने की वजह से कई बीमारियां फैल सकती हैं। सड़कों पर फैले धूलकण प्रदूषण का बड़ा कारण है। कूड़ा नहीं उठाए जाने से प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की भी आशंका है। स्वच्छता न होने से गर्मी के दिनों में डायरिया, टाइफाइड व संक्रामक बीमारियां होने का खतरा भी रहता है। गंदगी के कारण मच्छरों की उत्पत्ति भी होती है और मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियां फैल सकती हैं।

यह एक विचारणीय प्रश्न है कि आखिर सफाई कर्मचारियों को बार-बार वेतन के लिए प्रदर्शन और हड़ताल जैसे कदम क्यों उठाने पड़ते हैं। दिल्ली सरकार और नगर निगम यह सुनिश्चित क्यों नहीं करते कि सफाईकर्मियों को समय पर वेतन मिले और उन्हें इसके लिए आंदोलन का रास्ता न अख्तियार करना पड़े। दिल्ली सरकार और नगर निगम में पैसे को लेकर खींचतान में दिल्ली की जनता को परेशानी हो, इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। दोनों को सफाई कर्मचारियों के वेतन नहीं मिलने की समस्या को जल्द से जल्द दूर कर उनकी हड़ताल खत्म करवानी चाहिए। साथ ही उन्हें समय से वेतन मिले, इसके लिए दीर्घकालिक व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि बार-बार हड़ताल की नौबत न आने पाए। यह दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि नगर निगमों को आवश्यक बजट जारी करे। वहीं, निगमों को अपने खर्चो में कटौती और आय के साधन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, अन्यथा वित्तीय समस्या की स्थिति से पार पाना संभव नहीं होगा।


[स्थानीय संपादकीय :दिल्ली]