कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के भागड़ में पावरग्रिड कार्पोरेशन का पावर सब-स्टेशन तैयार करने से बंगाल सरकार पीछे हट गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि भांगड़ की घटना के पीछे प्रमोटरों का हाथ है। पावर सब-स्टेशन परियोजना लगभग पूरी हो चुकी थी और उसके पास प्रमोटर बहुमंजिली इमारतों का निर्माण करना चाहते थे। उन्होंने साजिश रचकर पावर सब-स्टेशन का काम रोक दिया। इलाके में रोशनी पहुंचाने के लिए हाई वोल्टेज टावरों का निर्माण जरूरी है लेकिन स्थानीय लोग नहीं चाहेंगे तो पावर सब-स्टेशन नहीं तैयार होगा। स्थानीय लोगों को ही यह तय करना होगा कि वे अंधेरे में रहना चाहते हैं या उजाले में जीना चाहते हैं। सरकार बिजली आपूर्ति में कम वोल्टेज की समस्या से निपटने के लिए काम कर रही है। इसी वजह से जिलों में पावर सब-स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं, लेकिन विरोधी दल माकपा व भाजपा के अलावा माओवादी व अन्य कुछ संगठन राज्य के उन क्षेत्रों में गड़बड़ी फैलाने की साजिश रच रहे हैं, जहां ऐसी परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं।
मुख्यमंत्री का तर्क अपनी जगह सही हो सकता है लेकिन सच्चाई यह है कि भूमि मुद्दे पर सरकार के खिलाफ जनमत बनने की आशंका से वह पीछे हट गई हैं। मुख्यमंत्री यह कहकर अपने कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकती कि लोग अंधेरे में रहना चाहते हैं तो वह कुछ नहीं कर सकतीं। इलाके में बिजली पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है। विरोधी दल अगर बाधा डाल रहे हैं तो मुख्यमंत्री को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। प्रमोटर बाधा डाल रहे हैं तो प्रशासन सीधे उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। तरह-तरह के बहाने बनाकर विकास परियोजनाओं को मूर्त रूप देने से सरकार का पीछे हट जाना कहां तक उचित है? दरअसल ममता सिंगुर और नंदीग्राम भूमि आंदोलन के जरिए ही सत्ता में आई और अब उन्हें भय सताने लगा है कि भूमि लेने का फैसला उनके खिलाफ जा सकता है। भांगड़ में भूमि आंदोलन में पुलिस की गोली से किसान परिवार के दो युवकों के मारे जाने से स्थानीय लोगों में क्षोभ है और विरोधी दल तथा कुछ नक्सली संगठन भी इसपर सरकार की घेराबंदी में जुट गए हैं।
------------------
(हाइलाइटर::: ममता सिंगुर और नंदीग्राम भूमि आंदोलन के जरिए ही सत्ता में आई और अब उन्हें भय सताने लगा है कि भूमि लेने का फैसला उनके खिलाफ जा सकता है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]