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ठग फोन पर लोगों से बैंक खातों के नंबर व अन्य जानकारियां जुटाते हैं, ऐसे अपराध की जानकारी कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोग ज्यादा शिकार बन रहे हैं
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जानी मानी विदेशी कंपनियों में नौकरियां दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी का मामला सामने आना इस बात को इंगित करता है कि कुछ आपराधिक तत्व ऑनलाइन रोजगार का आश्वासन देकर युवाओं को लूट रहे हैं। दु:खद पहलू यह है कि पुलिस इस गिरोह के गिरेबान तक नहीं पहुंच पाई है। ठग पूरे हाईटेक तरीके से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। इतना ही नहीं, इन ठगों ने बकायदा तौर पर अपने कॉल सेंटर बना रखे हैं, जहां पर लोगों के पूरे रिकॉर्ड जुटाकर उनसे फोन पर बैंक खातों के नंबर व अन्य जानकारियां जुटा लेते हैं। यह सब इतना सुनियोजित होता है कि अकसर जागरूकता के अभाव में लोग पूरी जानकारी इन ठगों को मुहैया करवा देते हैं। सवाल यह भी उठता है कि ठगों को लोगों के बैंक रिकॉर्ड, नाम-पते व विभिन्न पॉलिसियों की जानकारी कैसे मिल जाती है? क्या इसमें कुछ बैंकों के कर्मचारी भी संलिप्त हैं या फिर अन्य तरीकों से ये ठग मोबाइल नंबर व अन्य जानकारियां जुटा लेते हैं। इस पहलू पर भी सघन जांच करने की जरूरत है। ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों के बावजूद आज तक लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस या फिर अन्य संबंधित एजेंसियों ने कोई भी जागरूकता अभियान नहीं चलाए। आज भी जम्मू कश्मीर की सत्रह प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहां पर उन्हें इस प्रकार के अपराध के बारे में बहुत कम जानकारी है। आंकड़े बताते हैं कि ठगी के मामले ऐसे क्षेत्रों में ही अधिक दर्ज होते हैं। भविष्य में इस प्रकार की वारदातें न हों, इसके लिए पुलिस के अलावा प्रशासन को भी सख्त कदम उठाने के साथ ही जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। पुलिस को चाहिए कि वे पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करे। इसके लिए साइबर क्राइम को भी अपने तौर पर जांच करने की जरूरत है। प्रतिस्पर्धा के युग में इन दिनों छात्र देश-विदेश के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाखिलों के लिए कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में आपराधिक तत्व भी सक्रिय हो गए हैं कि इन युवाओं को किस तरह अपने जाल में फंसा कर लूट को अंजाम दिया जाए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]