यूं तो अमेरिका व अन्य देशों में यदा कदा भारतीयों को नस्ल के आधार पर निशाना बनाए जाने के मामले सामने आते रहे हैं लेकिन हाल के दिनों में यह घटनाएं अचानक बढ़ना चिंता का विषय है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दस दिनों में अमेरिका में पांच भारतीय नस्ली हिंसा के शिकार हो चुके हैं। पंजाब के लिए खास तौर पर यह इसलिए ज्यादा चिंतनीय मामला है क्योंकि नस्ली हिंसा के शिकार होने वालों में कई सिख भी हैं। यह कहने में कोई संकोच नहीं कि जब से अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति का पद संभाला है और विदेशियों के प्रति अपनी सोच व नीति उजागर की है तब से यह घृणास्पद अपराध ज्यादा बढ़ गए हैं। अमेरिका के वाशिंगटन केंट में सिख युवक को देश छोड़कर जाने के लिए कहते हुए गोली मारने की घटना की जांच हालांकि अमेरिकी ने अपनी घरेलू खुफिया व जांच एजेंसी एफबीआई (फेडरल ब्‍यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) को दे दी है लेकिन इससे यह विश्वास कायम होना मुश्किल है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी। वाशिंगटन की घटना के एक ही दिन बाद न्यूजीलैंड के आकलैंड में रोडरेज की एक घटना में एक सिख के साथ झगड़ा किया गया, उस पर हमला हुआ और इस दौरान नस्ली टिप्पणियां की गईं। हकीकत यही है कि अब विदेशों में कई जगह भारतीय, खासकर पंजाबी लोग असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। विश्व समुदाय को यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के लोगों ने अपनी मेहनत व दूरदर्शिता के दम पर विभिन्न क्षेत्रों में उस राष्ट्र की तरक्की में ही योगदान दिया है जहां वे बसे हैं। कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड ही नहीं अमेरिका व इंग्लैंड में सिख व अन्य पंजाबी कई ऊंचे ओहदों पर हैं, अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। सच तो यह है कि पंजाब के कई परिवार तो पूरे के पूरे ही बाहर जा बसे हैं। अब अगर उन्हें इस तरह असुरक्षा बोध होता है तो यह भारत के लिए ही नहीं उन देशों के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए। भारत सरकार को भी चाहिए कि वह इन देशों से भारतीयों की सुरक्षा के मामले को लेकर सख्त रवैया दिखाए।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]