यह चिंतनीय है कि पंजाब विश्वविद्यालय में सोमवार को दो छात्र संगठनों में झड़प हुई और मंगलवार को भी माहौल तनावपूर्ण रहा। दिल्ली के रामजस कालेज में हुई झड़प के बाद जालंधर से ताल्लुक रखने वाली उस गुरमेहर कौर को मिल रही धमकियों को लेकर यहां चिंगारी ज्यादा भड़की है जो कारगिल शहीद कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी है। रामजस कालेज में 21 फरवरी को एक सेमिनार में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों उमर खालिद और शेहला रशीद को बुलाए जाने पर उक्त संगठन ने आपत्ति जताई थी और यह छात्र नहीं आ सके थे। उसी के बाद इस संगठन के साथ दूसरे संगठन की झड़पें शुरू हो गई थी। देखते ही देखते नार्थ कैंपस से लेकर पंजाब तक हंगामा बरप गया, और जैसा कि अक्सर होता है, इस मुद्दे पर खूब सियासी रोटियां भी सेंकी जा रही हैैं। दिल्ली में पढ़ रही गुरमेहर कौर ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ पोस्ट डाले थे, जिसमें उसके हाथ में उस संगठन का विरोध किया था। उसके बाद छात्रा ने कहा कि उसे सोशल मीडिया पर धमकियां मिल रही हैं। अब गुरमेहर ने इस सारे मामले से खुद की अलग कर लिया है। तीन दिन से इसी मामले को लेकर पक्ष व विपक्ष में बयान भी आ रहे हैैं। सेमिनार के विरोध और छात्रा को धमकियां दिए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला भी बताया जा रहा है तो कुछ नेता इसके पीछे उसे भड़काए जाने की बात कह रहे हैैं। वाद- विवाद में एक केंद्रीय मंत्री से लेकर विपक्ष के बड़े नेता व खिलाड़ी तक कूद गए हैैं। किसी सेमिनार में विवादों में घिरे किसी शख्स को बुलाया जाना, फिर उसका विरोध करना, इस विरोध के विरोध में किसी शहीद की बेटी का आवाज उठाना, उस आवाज के विरोध में धमकी दिया जाना और फिर उस पर सियासत होना...हर मामले के दो पक्ष हो सकते हैैं और विवाद व हंगामा जितना बढ़ाएं , बढ़ सकता है। लेकिन इससे किसी को कुछ हासिल नहीं होने वाला है। विश्वविद्यालय व कालेज स्तर के शिक्षण संस्थानों में विचारधाराओं का टकराव होना कोई नई बात नहीं है। राष्ट्र विरोध, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर बहस होनी भी चाहिए लेकिन इस तरह हंगामों से माहौल नहीं बिगडऩा चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]