कुंदन पाहन के सरेंडर की बात भले ही पुलिस स्वीकार न करे, सूचना सार्वजनिक हो चुकी है। अब नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अंतिम मुहाने पर है।
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झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस को लगातार मिल रही सफलता जारी रही तो वह दिन दूर नहीं जब नक्सलियों से झारखंड को मुक्त करा लिया जाएगा। जरूरत है यह रफ्तार बनाए रखने की। यह कोई मुश्किल काम भी नहीं। पश्चिम बंगाल उदाहरण है जहां से नक्सलियों को भगाने में सरकार को सफलता मिली थी। झारखंड में नक्सली या तो गिरफ्तार हो रहे हैं या फिर सरेंडर कर रहे हैं। लगातार तैयारियों की बदौलत पुलिस को यह रणनीतिक सफलता मिल रही है। कुंदन पाहन के आत्मसमर्पण की बात अब किसी से छिपी नहीं है। इसके साथ ही झारखंड से नक्सलियों का एक मजबूत स्तंभ उखड़ गया है। कुंदन पाहन के साथ आधा दर्जन नक्सलियों के सरेंडर की बात कही जा रही है। आम्र्स स्पेशलिस्ट विष्णु मुंडा इन्हीं में से एक है। जो भी हो, अब वक्त आ गया है कि नक्सलियों से अंतिम लड़ाई लड़ ली जाए।
नक्सलियों के खिलाफ लंबी लड़ाई का नतीजा जब भी मिले यह तो तय है कि इसमें पुलिस को क्रेडिट मिलेगा। बूढ़ा पहाड़ से शुरू हुई आखिरी लड़ाई को पुलिस ने अपनी सूझबूझ से मुकाम तक पहुंचाया है। पहले नक्सलियों के हथियार को नष्ट किया गया, चारों ओर से आनेवाली खेप पर नजर रखी गई और फिर नए नक्सलियों की बहाली पर पुलिस की निगरानी रही। कुल मिलाकर नक्सलियों को मजबूत करनेवाले तत्वों पर प्रहार जारी रहा। इसके बाद ही पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली। रांची, खूंटी, गुमला से लेकर पूरे झारखंड में अपनी छाप छोडऩेवाले कुंदन पाहन को सरेंडर करना पड़ा। रांची पुलिस रविवार को कुंदन पाहन के साथ आम्र्स स्पेशलिस्ट और जोनल कमांडर विष्णु मुंडा का विधिवत सरेंडर करवाएगी। विष्णु मुंडा को विस्फोटकों से मौत का सामान तैयार करने में महारत हासिल है। इतना ही नहीं पूरे राज्य में माओवादी संगठन के पास कौन-कौन से हथियार हैं, इसकी भी पूरी जानकारी उसके पास है। और भी कई नाम पुलिस के सामने हैं जिन्हें आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया जा रहा है। अगर पुलिस की मुहिम सफल रही तो झारखंड का बड़ा इलाका नक्सलियों से मुक्त हो जाएगा। ओडिशा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर मुस्तैदी बढ़ाकर पुलिस अपनी मंजिल की ओर बढ़ सकती है। कोशिश करनी होगी कि दूसरे राज्यों से नक्सलियों की घुसपैठ बंद हो। ऐसा होते ही पुलिस दशकों की इस समस्या को एक नतीजे तक पहुंचाने में सफल होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]