(दरअसल निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने जो नया कानून बनाया है वह कुछ ज्यादा ही सख्त है। उसकी चौतरफा आलोचना हो रही है)

निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निजी स्कूलों और बड़े निजी शिक्षण संस्थानों पर लगाम कसने का संकेत दिया था। मुख्यमंत्री ने विधानसभा से बिल पारित कर दि वेस्ट बंगाल क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (रेजिस्ट्रेशन, रेगुलेशन एंड ट्रांसपरेंसी) अधिनियम 2017 बनाया और उसे तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया। उसके बाद मुख्यमंत्री ने जब कहा कि निजी स्कूलों के छात्रों और अभिभावकों से शुल्क और डोनेशन के रूप में मोटी रकम वसूलने की शिकायतें मिल रही है तो समझा गया कि इसे रोकने के लिए भी नया कानून बनेगा। बाद में जब शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि स्कूलों को शुद्ध रूप से व्यवसाय करने की छूट नहीं दी जा सकती तो नया कानून बनाने की संभावना और भी बढ़ गई। लेकिन इधर अचानक शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया कि इसके लिए कोई नया कानून नहीं बनेगा। शिक्षा विभाग के वर्तमान कानून के तहत ही निजी स्कूलों को नियंत्रित किया जाएगा।
दरअसल निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने जो नया कानून बनाया है वह कुछ ज्यादा ही सख्त है। उसकी चौतरफा आलोचना हो रही है। दि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने निजी अस्पतालों को नियंत्रित करने के लिए जो नया कानून बनाया है उसे चिकित्सकों के विरुद्ध बताया और कानून में संशोधन करने की मांग की है। चिकित्सा क्षेत्र में राज्य में हजारों करोड़ रुपये निवेश करनेवाले संस्थान भी क्षुब्ध हैं। मुख्यमंत्री को भी अब इसका अंदाजा लग गया है। इसलिए वह निजी स्कूलों के नियंत्रित करने के लिए नया कानून बनाने से पीछे हट गईं। शिक्षा विभाग का जो वर्तमान कानून है उसी के तहत सरकार निजी स्कूलों को नियंत्रित करेगी। वेस्ट बंगाल राइट आफ चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजूकेशन रूल्स के तहत निजी स्कूल छात्रों से मनमाना शुल्क नहीं वसूल सकते। वर्तमान कानून के तहत किसी भी क्षेत्र में भयानक गलतियां होने पर सरकार को कदम उठाने का अधिकार है। इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है। ऐसे में निजी शिक्षण संस्थान और निजी अस्पतालों के फलने-फूलने का अवसर विद्यमान है। ऐसा नहीं है कि कानून बना देने से ही रातोंरात व्यवस्था में सुधार हो जाएगा। सरकार को भी इसका भान हो चुका है। इसलिए शिक्षा विभाग ने वर्तमान कानून के तहत ही निजी स्कूलों को नियंत्रित करने का निर्णय किया है।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]