केंद्र सरकार के खिलाफ बंगाल की ममता बनर्जी सरकार आए दिन विभिन्न मुद्दों को लेकर मोर्चा खोलती रहती हैं। नोटबंदी, टोल नाकों पर सेना तैनाती, आधार कार्ड, केरोसिन की मूल्य वृद्धि, पीएफ की ब्याज दर में कमी आदि। हर मुद्दे पर कोलकाता से दिल्ली तक विरोध करती रही हैं। अब एक और मुद्दा को लेकर ममता सरकार ने विरोध शुरू कर दिया है। यह मुद्दा मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए देशभर में हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी-नीट) के प्रश्न पत्र को लेकर। इस मुद्दे पर भी बंगाल सरकार ने केंद्र के साथ टकराव के रास्ते आगे कदम बढ़ा दिया है। सोमवार को शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने केंद्र पर बंगाल के छात्रों के साथ भेद-भाव का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल में प्रवेश के लिए आयोजित नीट में बांग्ला भाषा में जो प्रश्नपत्र दिया गया था वह अंग्रेजी की तुलना में अधिक कठिन था। सभी भाषाओं में समान प्रश्नपत्र देने की बात कही गई थी, लेकिन बांग्ला में अलग से कठिन प्रश्नपत्र देकर बंगाल के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं की अनदेखी की गई है। जानबूझकर उन्हें मेडिकल में अवसर पाने से वंचित किया गया है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके विरोध में सरकार किसी भी हद तक जाकर अपना विरोध जताएगी। पर, सवाल यहां यह उठ रहा है कि जब देशभर में एक साथ परीक्षा हुई तो प्रश्न तो समान होंगे सिर्फ बांग्ला भाषा में उसका अनुवाद किया गया होगा। फिर अंग्र्रेजी में सरल और बांग्ला में कठिन प्रश्न होने की बात कहने का अर्थ क्या है? क्या बांग्ला भाषा में अलग प्रश्न पूछे गए? अगर ऐसा हुआ होगा तब तो सवाल उठना लाजिमी है। क्योंकि, राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली किसी भी परीक्षा का प्रश्नपत्र समान होते हैं। शिक्षा मंत्री का कहना है कि अधिकांश छात्र-छात्राएं व अभिभावकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इसकी शिकायत कर हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने भी नीट में बंगाल के छात्र-छात्राओं के साथ भेद-भाव पर आपत्ति जताई है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रश्नपत्र तैयार करने वाले बोर्ड सीबीएसई को वह पत्र लिखेंगे। इस मुद्दे पर वह राज्य के मेडिकल शिक्षा निदेशालय से बातचीत करेंगे और जरूरत पडऩे पर फिर से परीक्षा आयोजित कराने की मांग करेंगे। नीट आयोजित करने वाले संस्थान व केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और सत्य सामने आना चाहिए।
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(हाईलाइटर::: सवाल यहां यह उठ रहा है कि जब देशभर में एक साथ परीक्षा हुई तो प्रश्न तो समान होंगे सिर्फ बांग्ला भाषा में उसका अनुवाद किया गया होगा। फिर अंग्रेजी में सरल और बांग्ला में कठिन प्रश्न होने की बात कहने का अर्थ क्या है?)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]