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ब्लर्ब में
समाज को सुधारने के लिए मातृशक्ति की पहल बदलाव के संकेत दे रही है। समाज को महिलाओं ने ही आईना दिखाना शुरू किया है।
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देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे से शराब ठेके 220 मीटर की दूरी की परिधि से दूर करने के आदेश के बाद इन्हें स्थापित करने के लिए ग्र्रामीण इलाकों का रुख किया जा रहा है। हालांकि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद हिमाचल समेत कई राज्यों ने राज्य राजमार्गों का दर्जा घटाकर उन्हें जिला प्रमुख मार्ग बनाकर ठेके खोलने का मार्ग प्रशस्त कर दिया, लेकिन कई जगह जनता के विरोध के कारण प्रशासन को ठेके बदलने के मजबूर होना पड़ा है। ठेके बदलने के बाद प्रदेश में मातृशक्ति का गुस्से में आना कहीं न कहीं बदलाव का संकेत दे रहा है। सिरमौर से लेकर कांगड़ा तक कई जगह ठेकों के खिलाफ महिलाओं ने आवाज बुलंद की है। सिरमौर में महिलाओं ने धरने-प्रर्दशन के बाद शराब के ठेकों में तोडफ़ोड़ करते हुए उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। धर्मशाला में आक्रोशित महिलाओं ने ठेके के बाहर ताला लगाकर प्रदर्शन किया। पालमपुर उपमंडल की बनूरी खास पंचायत में ठेके के बाहर महिलाओं का पहरा दिन-रात जारी है। कांगड़ा से सटी पंचायत घुरकड़ी पंचायत में भी कमोवेश यही स्थिति है। बिलासपुर जिले की बामटा पंचायत में शराब का ठेका खोलने पर पंचायत की महिलाएं भड़क गई हैं। ठेके के बाहर महिलाओं ने लाठियां लेकर ठेके को यहां से शिफ्ट करने को लेकर प्रदर्शन किया। बिलासपुर जिले के ही झंडूत्ता के नखलेहड़ा में भी शराब के ठेके के खिलाफ मोर्चा खोला गया है। विरोध को देखते हुए शराब के ठेकेदार ने वहां से साजोसामान समेट लिया है। सरकार और प्रशासन को भी महिलाओं के इस आक्रोश को समझना होगा आखिर उन्हें इस तरह कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ी। समाज को सुधारने के लिए मातृशक्ति का आगे आना कहीं न कहीं बदलाव के संकेत दे रहा है। महिला को घर की चौखट तक ही सीमित रखने वाले समाज को ही महिलाओं ने ही आईना दिखाना शुरू किया है। महिलाओं का विरोध सही है लेकिन यह विरोध कानून के दायरे में ही होना चाहिए। ठेकों पर तोडफ़ोड़ और उन्हें क्षति पहुंचाना सही नहीं है आखिर ठेके के लेने के लिए भी ठेकेदारों ने भारी-भरकम राशि दी है। प्रशासन को चाहिए कि शिक्षण संस्थानों और गांव की आबादी के नजदीक इस तरह ठेके खोलने की अनुमति न दी जाए, जिससे इस तरह का महिलाओं का आक्रोश सहना पड़े। दोनों पक्षों को इस तरह के मामले सुलझाने की पहल करनी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]