हाइलाइटर
---सच तो यह है कि हर साल आलू किसान इसी दौर से गुजरते हैैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल रहा।

पंजाब के आलू उत्पादक सड़कों पर हैैं, खुदकशी करने लगे हैैं। मंंगलवार को जालंधर में किसानों ने आलू की फसल को सड़कों पर बिखेर दिया। वजह यह थी कि उन्हें आलू का सही दाम नहीं मिल रहा। बुधवार को जालंधर के ही गांव मूसापुर के एक उत्पादक ने इसलिए खुदकशी कर ली क्योंकि उसने आलू उत्पादन के लिए ठेके पर जमीन ली थी, लेकिन घाटे का सौदा साबित होने लगी। सच तो यह है कि हर साल आलू किसान इसी दौर से गुजरते हैैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल रहा। पंजाब के दोआबा क्षेत्र का आलू काफी स्तरीय रहा है। इसकी काफी मांग भी रही है लेकिन उत्पादन के अनुरूप भंडारण व विपणन की व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। इस वजह से किसानों को इसकी खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। इस बार 23.7 लाख मीट्रिक टन की पैदावार की संभावना है, जबकि राज्य में भंडारण की क्षमता केवल 20.25 लाख टन की ही है। यानी लगभग तीन लाख मीट्रिक टन आलू का भंडारण नहीं हो सकता। जाहिर है कि मंडियों में एकदम से इतने आलू की खपत नहीं है। हालांकि यहां से गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों को आलू जाता है लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि वहां के व्यापारी फसल कब उठाते हैैं और दाम क्या देते हैैं। नतीजतन किसानों को अपने खून-पसीने की कमाई को सड़कों पर बहाना पड़ा रहा है और सरकार मौन है। यह घोर निराशाजनक स्थिति है। राज्य में आलू की फसल की ऐसी बेकद्री व किसानों के रोष के मद्देनजर हालांकि राष्ट्रीय कृषि सहकारी मार्केटिंग फेडरेशन (नेफेड) ने एक सप्ताह के भीतर ही किसानों को बाजार लिंक उपलब्ध कराने का दावा किया है लेकिन उससे कितने किसानों को कितना लाभ हो सकेगा, यह कहना अभी मुश्किल है। देश का अन्न का कटोरा कहे जाने वाले पंजाब में गेहूं की बर्बादी और भूजल स्तर गिरने की समस्या के समाधान के तौर पर फसलों के विविधीकरण की बात की जाती है। दूसरी ओर जो किसान इन फसलों से इतर आलू, कपास, किन्नू इत्यादि के उत्पादन पर ध्यान दे रहे हैैं वे सरकार की समुचित विपणन व भंडारण व्यवस्था न होने के कारण सड़कों पर उतरने को मजबूर है। पिछले कई वर्षों से कपास उत्पादकों को भी ऐसी ही निराशा के दौर से गुजरना पड़ रहा है। यह चुनावी मुद्दा तक बन गया। सरकार चाहे जो भी आए, उसे इन किसानों की मांगों को गंभीरता से लेना होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]