ब्लर के लिए
- दिल्ली की जनता का एजेंडा स्पष्ट है और सत्तारूढ़ दल को इस एजेंडे पर प्राथमिकता के आधार पर काम करना होगा। उनकी समस्याएं दूर करनी होंगी

दिल्ली की तीनों नगर निगमों के 270 वार्डों पर हुए मतदान के नतीजे आज आ जाएंगे। इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि कौन सा राजनीतिक दल इन निगमों पर राज करेगा। भले ही कोई भी राजनीतिक दल इन निगमों की सत्ता पर काबिज हो, जनता का एजेंडा स्पष्ट है और सत्तारूढ़ दल को इस एजेंडे पर प्राथमिकता के आधार पर काम करना होगा। उनके एजेंडे में बदहाल सफाई व्यवस्था, स्कूलों-अस्पतालों में बदहाल स्थिति, पार्किंग की समस्या, जलभराव, आवारा पशुओं की समस्या, पार्कों की बदहाली और निगम कार्यालयों में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे सबसे ऊपर हैं। ये मुद्दे प्रत्येक दिल्लीवासी से जुड़े हुए हैं। झुग्गी झोपडिय़ों व अनियोजित कॉलोनियों से लेकर दिल्ली नगर निगम क्षेत्र में आने वाले पॉश इलाकों में भी बदहाल सफाई व्यवस्था एक बड़ी समस्या है। विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त गंदगी तरह-तरह की बीमारियों को जन्म देती है और दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य के लिए चुनौती पैदा करती है। देश की राजधानी में कूड़ा-कचरा और गंदगी किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जा सकती। यह हर राजनीतिक दल को स्पष्ट समझ में आना चाहिए।
निगम के स्कूलों और अस्पतालों की स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। एक विश्वस्तरीय शहर में शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाल स्थिति बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। स्कूलों की दशा व दिशा बदले जाने की जरूरत है, वहीं अस्पतालों में भी सुधार की आवश्यकता है। डेंगू व चिकनगुनिया से दिल्लीवासियों को बचाने के लिए नगर निगमों के स्वास्थ्य ढांचे में बदलाव समय की मांग है। विगत वर्षों में निगमों में सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने तरीके से सुधार के प्रयास किए, लेकिन अब भी अनेक क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश है। निगम चुनाव के अखाड़े में उतरे तीन प्रमुख दलों भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के चुनाव घोषणा पत्रों में इन मुद्दों का जिक्र प्रमुखता से किया गया है। इनमें से कोई भी दल निगमों की सत्ता पर आसीन होता है, तो यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि वे इन प्रमुख मुद्दों पर सर्वाधिक जोर देंगे और दिल्ली को किसी भी क्षेत्र में पिछड़ा नहीं रहने देंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]