बोर्ड की परीक्षाओं में खराब रिजल्ट सुधारने पर कसरत चल रही है। इसका सभी को समर्थन करना चाहिए।
 हिमाचल के सरकारी स्कूलों में खराब रिजल्ट के बाद कार्रवाई की कसरत चल रही है। प्रदेश में दसवीं और जमा दो के जिन स्कूलों का रिजल्ट ज्यादा खराब रहा है, उनके शिक्षकों से जवाब मांगा गया है। इसके अलावा शिक्षा विभाग की एक टीम उन स्कूलों का दौरा कर रही है, जिनका रिजल्ट ठीक नहीं आया है। ऐसी टीम कांगड़ा के स्कूलों का दौरा कर भी चुकी है। यह टीम स्कूलों में दौरा कर छात्रों से भी मिल रही है। बताया जा रहा है कि खराब रिजल्ट देने वाले शिक्षकों ने विभाग के पास अपना पक्ष रखा है। उन्होंने इसकी वजह तबादला बताया है। इन शिक्षकों ने कहा कि उनको पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय मिला होता तो रिजल्ट खराब नहीं आता। इसके बाद सरकार ने तबादलों का रिकॉर्ड तलब किया है। इस रिकॉर्ड से यह देखा जाएगा कि कितने ऐसे शिक्षक थे जिनका रिजल्ट सेशन पूरा न कर पाने के कारण खराब आया है। यह अच्छी बात है कि शिक्षकों ने अपना पक्ष रखा है और सरकार उनके पक्ष पर गहराई से मंथन कर रही है। खराब रिजल्ट के दूसरे क्या कारण हैं, उस हर बिंदु पर काम किया जा रहा है। इसके बाद खराब रिजल्ट की वजह बने बिंदुओं में सुधार लाने पर कसरत होगी। रिजल्ट हर साल खराब आते हैं। इनका प्रतिशत ऊपर-नीचे जरूर रहता है। हर बार सरकार और शिक्षा विभाग जिला शिक्षा उपनिदेशकों से रिपोर्ट मांगते हैं। साथ ही बिल्कुल खराब रिजल्ट देने वालों को कार्रवाई का डर भी दिखाया जाता है। वेतनवृद्धि रोकने की चेतावनी दी जाती है। जिला से बाहर तबादला करने को कहा जाता है। साथ में दूसरी तरह की कार्रवाई को लेकर भी शिक्षा निदेशालय से पत्र जारी होते रहे हैं। सारी रिपोर्टें तैयार होने के बाद शिक्षा विभाग ऐन मौके पर पीछे हट जाता है। यह कहकर कि इस बार मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस मामले में प्रदेश के शिक्षक संघों का दबाव भी एक कारण रहता है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर राज्य सरकार की चिंता समझी जा सकती है। बोर्ड की परीक्षाओं के खराब रिजल्ट आने का एक कारण यही शिक्षा का गिरता स्तर है। असल में शुरू से ही नींव कमजोर पड़ रही है। इस बार की पहल का स्वागत इसलिए होना चाहिए, क्योंकि सरकार सारा दोष शिक्षकों पर न मढ़कर दूसरे बिंदुओं पर जा रही है। इसमें शिक्षकों को भी सहयोग करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]