खतरनाक चौराहे
दिल्ली में पैदल चलने वालों का भागते वाहनों के बीच से होते हुए दौड़ कर चौराहे पार करना निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे न सिर्फ उनके हादसे का शिकार होने की आशंका बनी रहती है, अपितु यह वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए भी हादसे का सबब बनता है। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान [सीआरआरआइ] के ट्रैफिक इंजीनियरिंग एंड सेफ्टी विभाग द्वारा दिल्ली के पांच प्रमुख चौराहों पर किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया है कि इन चौराहों पर राहगीरों के लिए विशेष सिगनलिंग की व्यवस्था नहीं है। सड़क पार करने के लिए पैदल चलने वालों को कई बार 11 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ना पड़ता है। अध्ययन के अनुसार, आश्रम चौक, सराय काले खां चौक, बुराड़ी चौक, धौलाकुआं चौक व शास्त्री पार्क चौक पर राहगीर तब सड़क पार करते हैं, जब ट्रैफिक सिगनल लाल हो जाता है। इन चौराहों पर लेफ्ट टर्न फ्री होने और यू-टर्न की इजाजत होने के कारण राहगीरों को दौड़ते वाहनों के बीच से निकलकर सड़क पार करनी पड़ती है, जो कई बार उनके लिए खतरनाक साबित होती है। यही नहीं, बुजुर्गो और महिलाओं को रुक-रुक कर जान जोखिम में डालकर सड़क पार करनी पड़ती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जेब्रा क्रॉसिंग पर खड़े वाहनों की वजह से सड़क पार करने वालों का लगभग 40 फीसदी समय बेकार चला जाता है।
राजधानी के अन्य बड़े चौराहों की स्थिति भी इन पांच प्रमुख चौराहों से अलग नहीं है। दिल्ली में पैदल चलने वालों के लिए पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण ही यहां सड़क हादसों में मारे जाने वालों में करीब 50 फीसदी पैदल चलने वाले होते हैं। विगत वर्ष भी सड़क हादसों में कुल 2066 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 946 पैदल यात्री थे। यह अध्ययन निश्चित तौर पर राजधानी में पैदल चलने वालों की सुरक्षा के प्रति चिंता पैदा करता है। इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि यातायात पुलिस पैदल चलने वालों को सुरक्षित ढंग से सड़क पार करने के लिए प्रेरित कर रही है। लेकिन चौराहों पर राहगीरों के लिए जेब्रा क्रॉसिंग खाली रखने और विशेष सिगनलिंग की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है। संबंधित विभागों को यह समझना होगा कि पैदल चलने वालों की सुरक्षा को प्राथमिकता देकर ही दिल्ली की सड़कों को काफी हद तक सुरक्षित बनाया जा सकता है।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]
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