कायम की मिसाल
राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड के घोषित हुए दसवीं कक्षा के परिणामों में इस बार ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थ
राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड के घोषित हुए दसवीं कक्षा के परिणामों में इस बार ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों ने शहरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया कि सुविधाओं का रोना रोने के बजाए चुनौतियों का सामना करने से किसी भी मुकाम को पाया जा सकता है। जम्मू के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र रामनगर की छात्रा ने पहली पोजीशन हासिल कर इतिहास बनाया, जबकि दूसरी व तीसरी पोजीशन भी ग्रामीण इलाकों की ही रही। प्रतिस्पर्धा के इस युग में मेधावी छात्रों ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाए तो सफलता आपके कदम चूमेगी। महिला सशक्तिकरण की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि दसवीं की कुल बीस पोजीशन में से लड़कियों ने 237 पोजीशन हासिल कर लड़कों को पछाड़ दिया। इसमें कोई दोराय नहीं कि ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों में शहरों के मुकाबले छात्रों को सभी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती। यह उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की इस अलख से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि लड़कियों के लिए शिक्षा की क्या अहमियत है। इसका श्रेय समाज में बदल रही सोच को भी जाता है। पहले वक्त में लड़कियों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था, लेकिन बदलती सोच के कारण हर अभिभावक की कोशिश होती है कि लड़कियों की शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाए। यही सोच अब ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रही है और राज्य में कन्या शिक्षा दर में बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेट के इस युग ने क्रांति ला दी है, जिससे दूरदराज क्षेत्रों में बैठे युवा भी अब किसी से पीछे नहीं हैं। शिक्षा, नौकरी या किसी प्रोफेशनल कॉलेज में प्रवेश की जानकारी के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग किसी के मोहताज नहीं हैं। युवाओं की इस सफलता को देखते हुए सरकार को भी चाहिए कि वह मेधावी छात्रों को सम्मानित करे, ताकि अन्यों के लिए वे प्रेरणा का स्रोत बनें। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक महिला जिस पर पूरे परिवार का दारोमदार होता है अगर पढ़ी लिखी होगी तो वह समाज की तमाम चुनौतियों का मुकाबला कर सकेगी।
[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]