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कमजोर कानून व्यवस्था

पंजाब में लगातार अपराधों का बढ़ना चिंता का विषय है। एक के बाद एक घट रही आपराधिक घटनाओं को देखकर ऐसा

By Edited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 06:24 AM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 06:24 AM (IST)
कमजोर कानून व्यवस्था

पंजाब में लगातार अपराधों का बढ़ना चिंता का विषय है। एक के बाद एक घट रही आपराधिक घटनाओं को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और अपराधियों के मन में पुलिस का खौफ नहीं रह गया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कभी प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के भाई पर सरेआम गोली चलाई जाती है, कभी गुरदासपुर में शिवसेना नेता को दिनदहाड़े गोली मार दी जाती है, तो केंद्रीय जेल के अंदर अपराधी गैंगवार जैसी घटना को अंजाम दे देते हैं। कहीं किसी ज्वेलर को गोली मार कर लूटा जा रहा है, कहीं महिला के गले से चेन खींच ली जा रही है, कहीं कालेज के बाहर दिनदहाड़े फायरिंग हो रही है तो कहीं एटीएम लूटा जा रहा है। गत दिवस लुटेरों ने नवांशहर के राहों में एक आरएमपी डॉक्टर की गोली मार कर हत्या कर दी और उसके भाई को भी घायल कर दिया। पंजाब के लिए ऐसी घटनाएं कदाचित शुभ नहीं कही जा सकती हैं। प्रदेश ने बहुत दर्द डोलकर शांति हासिल की है और कानून व्यवस्था की बिगड़ी हुई स्थिति पुन: अराजक व देश विरोधी तत्वों को सिर उठाने का अवसर प्रदान कर सकती है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पड़ोसी देश की खुफिया एजेंसी और विदेशों में छिपे आतंकी प्रदेश में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने का प्रयास करते रहते हैं। अपराधियों के मन में पुलिस व कानून का भय न होने के लिए कदाचित पुलिस स्वयं जिम्मेदार है। जिनके हाथ में प्रदेश की कानून व्यवस्था संभालने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, आए दिन उन्हीं में से कुछ लोग आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए जाते हैं। पूरे पुलिस विभाग में महज कुछ मुट्ठी भर ही ऐसे कर्मचारी हैं, परंतु इनकी करतूतों के कारण पूरे विभाग की न सिर्फ किरकिरी होती है अपितु जनता भी पुलिसकर्मियों को संदेह की नजरों से देखती है। सच्चाई यह है कि पुलिस प्रशासन यदि अपना दामन साफ सुथरा रखे और ईमानदारी से कार्य करे तो किसी अपराधी की हिम्मत नहीं है कि वह किसी बच्चे के हाथ से टॉफी तक छीन सके, लूट व हत्या तो बहुत दूर की बात है। इससे पहले कि बहुत विलंब हो जाए पुलिस प्रशासन को जागना होगा और जिस पुलिस ने प्रदेश से आतंकवाद मिटा दिया हो उसके लिए कानून व्यवस्था सुचारू रखना कतई कठिन नहीं होना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि शीघ्र सुधार देखने को मिलेगा।

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[स्थानीय संपादकीय: पंजाब]


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