उचित फैसला
कूड़ा जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने का दक्षिणी दिङ्घ4ी नगर निगम का फैसला उचित है। राजधानी दिल्ली
कूड़ा जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने का दक्षिणी दिङ्घ4ी नगर निगम का फैसला उचित है। राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए यह पहल सराहनीय है। शहर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है। राजधानी विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में एक है। वायु प्रदूषण के मामले में तो स्थिति काफी खराब है। यही वजह है कि हर साल इससे हजारों लोग कैंसर, दमा और सांस की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। सर्दी के दिनों में तो स्थिति और खराब हो जाती है। पिछले दिनों नेशनल ग्रीन टिब्यूनल ने यहां की स्थिति को देखते हुए पहले 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर पाबंदी लगाई और फिर कुछ ही दिन बाद 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर भी पाबंदी लगा दी। सवाल यह है कि सिर्फ सरकारी महकमों के फैसले से ही क्या वायु प्रदूषण से मुक्ति मिल जाएगी। पहले भी अदालतें वायु प्रदूषण कम करने के मकसद से राजधानी में पराली, कूड़े आदि को नहीं जलाने की बात कहती रही हैं, लेकिन इसको मूर्त रूप देने के लिए अब तक कोई रणनीति किसी ने भी नहीं बनाई थी। रणनीति बनाने और उसे क्त्रियान्वित करने का काम सरकार और नागरिक एजेंसियों का होता है। ऐसा पहली बार है कि कोई नागरिक एजेंसी इस मामले में सामने आई है। 1अब सरकार को चाहिए कि इसे आगे बढ़ाते हुए वह नियम बनाए और लोगों को इसके लिए जागरूक करने का काम करे। स्कूल और कालेजों में छात्रों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए विशेष योजना बनाई जानी चाहिए। घर में बड़े बुजुर्गो को भी बच्चों को ऐसा न करने की नसीहत देनी होगी। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की इस पहल से दूसरी नागरिक एजेंसियों को भी सीख लेनी चाहिए। सरकार को कूड़ा निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि सड़कों पर कूड़ा ही न रहे। साथ ही कूड़ा उठाने की मौजूदा व्यवस्था में भी सुधार करने की जरूरत है। आरडब्ल्यूए को इसकी निगरानी की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए ताकि वह अपने इलाके की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। सरकार को भी अपनी ओर से निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]