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चिंताजनक गिरावट

लगातार बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान की आशंका अनुमान से कहीं अधिक आगे बढ़ गई है

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2015 05:57 AM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2015 05:57 AM (IST)
चिंताजनक गिरावट

लगातार बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान की आशंका अनुमान से कहीं अधिक आगे बढ़ गई है और सरकार ने भी गेहूं खरीद लक्ष्य घटा कर इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है। केंद्रीय अनाज पूल में सबसे अधिक योगदान देने वाले हरियाणा के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है कि इस बार 75 लाख टन के खरीद लक्ष्य के मुकाबले 65 लाख टन गेहूं की ही खरीद होगी। अनुमान तो पैदावार बीस लाख टन कम होने का भी लगाया जा रहा है क्योंकि न तो प्राकृतिक आपदा का सामना करने के पुख्ता प्रबंध किए गए और न ही किसान इतने जागरूक हैं कि अपने नुकसान को न्यूनतम स्तर तक ला सकें। कृषि प्रधान हरियाणा में जितनी खुशी हर साल उत्पादन बढ़ने पर व्यक्त की जाती है, उससे अधिक चिंता विविध कारणों से अनाज के खराब होने पर करनी पड़ती है। प्रति एकड़ उपज में स्थिति बेहतर नहीं, अव्यावहारिक खरीद नीति के बाद रही सही कसर भंडारण क्षमता की कमी से पूरी हो जाती है। हर साल करोड़ों का अनाज खराब होने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त, अनावश्यक बोझ पड़ता है। सरकार को चाहिए कि वह अपने प्रबंधों को दूरदर्शी रूप दे, खराब फसल का मुआवजा देना ही एकमात्र उपाय नहीं। किसानों को जागरूक किए बिना बात नहीं बनने वाली। फसलें कटाई को तैयार हैं लेकिन मौसम की अस्थिरता सरकार के साथ किसानों की चिंता लगातार बढ़ा रही है। पहली अप्रैल से गेहूं खरीद भी शुरू हो जाएगी। प्रशासनिक स्तर पर अनाज खरीद की तैयारी पूरी कर ली गईं लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा कि खरीद के बाद अनाज भंडारण की क्या अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। यह कार्य योजना भी सामने आनी चाहिए कि अनाज खरीद लक्ष्य में दस लाख टन की कमी की भरपाई कैसे की जाएगी? कमी तो सरसों उत्पादन में भी संभव है, सब्जियों की फसलों को नुकसान का एकमुश्त आंकड़ा अभी न सरकार के पास है, न किसी एजेंसी के पास। उन सबकी भरपाई पर भी तो सरकार को ध्यान देना होगा। क्षतिपूर्ति के लिए कुशल प्रबंध क्षमता दिखाते हुए अनाज उत्पादन को परंपरा की पगडंडी से हटा कर व्यावसायिक ट्रैक पर उतारना सरकार की प्राथमिकता में शामिल किया जाना चाहिए। नई वास्तविकताओं के आलोक में सरकार को विविध उपायों, प्रबंधों पर गहन मंथन करके सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में अनाज खरीद लक्ष्य घटाने की नौबत फिर न आए।

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[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]


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