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आबकारी नीति के संदर्भ

हरियाणा की नई आबकारी नीति में कई बातें पहले से अलग हैं और यदि सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया ज

By Edited By: Published: Fri, 06 Mar 2015 05:10 AM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2015 05:10 AM (IST)
आबकारी नीति के संदर्भ

हरियाणा की नई आबकारी नीति में कई बातें पहले से अलग हैं और यदि सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए तो राजस्व वृद्धि के साथ व्यवस्था संबंधी निरंतरता, सुगमता लाने में भी मदद मिलेगी। दो पहलुओं को समानांतर परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। गांवों में शराबबंदी के लिए जागरूकता का विस्तार हुआ, प्रमाण यह है कि पिछली बार के मुकाबले तीन गुना अधिक ग्राम पंचायतों ने शराब ठेके न खोलने का अनुरोध किया जिसे मंजूर भी कर लिया गया। एक अन्य निर्णय भी तार्किक, व्यावहारिक है कि हाईवे पर शराब ठेके नहीं खोले जाएंगे क्योंकि ये सड़क हादसों का कारण बनते हैं। इस निर्णय के पीछे भले ही अदालती आदेशों की बाध्यता है लेकिन सरकार को निरपेक्ष भाव से इसकी अहमियत को समझना चाहिए और हाईवे पर ठेके स्थायी तौर पर बंद कर देने चाहिए। बार की लाइसेंस फीस गुड़गांव, फरीदाबाद में दोगुनी की गई है, अन्य जिलों में भी वृद्धि हुई लेकिन यह राशि अब भी तार्किक नहीं कही जा सकती।

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शराब बार के शुद्ध वार्षिक मुनाफे के साथ जोड़ कर इसे अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। मध्यम या औसत दर्जे के शहरों में बार की वार्षिक कमाई करोड़ों में होती है, गुड़गांव में तो आंकड़ा अरब को पार कर जाता है, ऐसे में जो वृद्धि हुई, वह पारंपरिक ही लग रही है, इसमें आधुनिक अर्थशास्त्र का पुट दिखाई नहीं दे रहा, हां, प्रक्त्रिया में आधुनिकता अवश्य लाई गई जिसके तहत ठेकों का आवंटन ऑनलाइन व्यवस्था से होगा जिससे पूर्ण पारदर्शिता की उम्मीद की जा सकती है। शराब तस्करी और खुर्दे राज्य की सबसे बड़ी समस्या बन चुके हैं। भौगोलिक परिस्थितियां और पड़ोसी राज्यों में आबकारी कर की अलग-अलग दरें तस्करी के लिए अनुकूल माहौल तैयार करती हैं, पुलिस का आचरण आग में घी जैसा काम करता है। कड़वी हकीकत है कि राजस्थान, दिल्ली से शराब तस्करी के जरिये हरियाणा में लाई जाती है। चंडीगढ़, पंजाब, उत्तार प्रदेश में आबकारी दरें अधिक होने के कारण हरियाणा से शराब भेजी जाती है। गांवों में अवैध शराब की बिक्त्री खुलेआम होती है। इसे रोकना बहुत बड़ी चुनौती है। यह सराहनीय है कि सरकार ने शराब के जरिये राजस्व में बेतरतीब इजाफे की उत्कंठा नहीं दिखाई पर उसे सामाजिक सरोकारों के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता हर स्तर पर दिखानी होगी।

[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]


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