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फिर गांव की ओर माकपा

बंगाल की सत्ता पर वाममोर्चा के लगातार 34 वषरें तक काबिज रहने के पीछे ग्रामीण जनता का व्यापक समर्थन थ

By Edited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 06:04 AM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 06:04 AM (IST)
फिर गांव की ओर माकपा

बंगाल की सत्ता पर वाममोर्चा के लगातार 34 वषरें तक काबिज रहने के पीछे ग्रामीण जनता का व्यापक समर्थन था। वाममोर्चा शासन का पतन तभी हुआ, जब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ग्राम बांग्ला में माकपा के मजबूत किले में सेंधमारी करने में सफल हुईं। शहरी क्षेत्रों के मतदाता बंटे हुए हैं लेकिन ग्राम बांग्ला में जो राजनीतिक दल ग्रामीण जनता का एकतरफा वोट बटोरने में सफल होता है, उसके लिए सत्ता हथियाने का रास्ता साफ हो जाता है। वाममोर्चा की अगुवाई करने वाली माकपा की चिंता इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि ग्राम बांग्ला में भाजपा की जड़ें मजबूत होने लगी हैं। सत्तारूढ़ दल तृणमूल के साथ भाजपा समर्थकों का संघर्ष ग्रामीण इलाकों में ही शुरू हुआ है। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद माकपा कर्मियों पर राजनीतिक हमले शुरू हुए थे। ग्राम बांग्ला में माकपा समर्थक लोगों को तृणमूल के आतंकसे घर छोड़कर अन्यत्र शरण लेनी पड़ी थी। विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा से लेकर माकपा के राज्य सचिव विमान बोस तक ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से विभिन्न गांवों में बेघर हुए माकपा कर्मियों को लौटाने की अपील की थी। माकपा कर्मियों पर तृणमूल के हमले तभी बंद हुए, जब छह माह पहले विमान बोस ने मुख्यमंत्री सचिवालय नवान्न जाकर ममता बनर्जी से मुलाकात की। बोस के साथ ममता की संतोषजनक बातचीत हुई और उसके बाद माकपा कर्मियों पर तृणमूल के हमले लगभग बंद हो गए। लेकिन दूसरी ओर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा समर्थकों पर हमले तेज हो गए। आज तृणमूल और भाजपा के बीच टकराव ने राजनीतिक हिंसा का रूप ले लिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए माकपा ने भाजपा से राजनीतिक स्तर पर निपटने की रणनीति बनाई है। ग्राम बांग्ला में भाजपा की पकड़ मजबूत नहीं हो सके, इसे ध्यान में रखते हुए माकपा के किसान संगठन कृषक सभा ने व्यापक आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है। कृषक सभा ने 26 नवंबर को ग्राम बांग्ला में हड़ताल की घोषणा की है। माकपा से जुड़ी केंद्रीय ट्रेड यूनियन सीटू ने हड़ताल का समर्थन किया है। सीटू के अध्यक्ष श्यामल चक्रवर्ती का कहना है कि किसानों की अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। खेतिहर मजदूर भी परेशान हैं। केंद्र सरकार द्वारा 100 दिनों के काम में कटौती करने से किसानों व खेतिहर मजदूरों की हालत और खराब होगी। राज्य सरकार भी किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने का कोई प्रयास नहीं कर रही है इसलिए कृषक सभा ने केंद्र व राज्य सरकार की गलत नीतियों के प्रतिवाद में 26 नवंबर को जो ग्राम बांग्ला हड़ताल की घोषणा की है, उसका सीटू पूर्ण समर्थन करेगी। दरअसल केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों के विरोध के नाम पर माकपा ग्राम बांग्ला में अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाशने का प्रयास कर रही है।

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[स्थानीय संपादकीय: पश्चिम बंगाल]


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