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दोषियों को मिले सजा

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सरकारी आवास से कुछ दूरी पर स्थित रेजीडेंसी रोड क्षेत्र में तारों को जोड़

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 06:23 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 06:23 AM (IST)
दोषियों को मिले सजा

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सरकारी आवास से कुछ दूरी पर स्थित रेजीडेंसी रोड क्षेत्र में तारों को जोड़ रहे बिजली विभाग के एक लाइनमैन का करंट लगने से झुलस जाना घोर लापरवाही का नतीजा है। कहीं न कहीं बिजली छोड़ने को लेकर आपसी तालमेल की कमी खली, जिस कारण एक श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गया। विडंबना यह है कि करंट लगने की घटनाएं आम हो चुकी हैं, जिसमें कई दिहाड़ीदार श्रमिक व लाइनमैन जान गंवा चुके हैं, लेकिन विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। इन अधिकारियों को अपने ही मुलाजिमों की जान की परवाह तक नहीं है और तालमेल के अभाव में करंट छोड़ दिए जाने की ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। बेशक बिजली विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन जो लोग मामले की जांच करेंगे वह संबंधित विभाग के ही हैं, जिससे पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता। सवाल यह उठता है कि अधिकारी मरम्मत कार्य से पहले उन्हें सुरक्षा किट क्यों नहीं उपलब्ध करवाते। अगर रबर के जूते व हाथों में दस्ताने पहने हों तो जान बच सकती है। विडंबना यह है कि पिछले दो दशक के दौरान करीब तीन सौ लाइनमैन सरकारी लापरवाही के कारण मौत को गले लगा चुके हैं और इससे अधिक विकलांग होकर रह गए हैं। बिजली का बुनियादी ढांचा खस्ताहाल होने के कारण इस प्रकार की दुर्घटनाएं आम बात बन गई हैं। हद तो यह है कि विभाग पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा तक नहीं देता और उसे उसके हाल पर ही छोड़ दिया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि विभाग में दिहाड़ीदार कर्मी ही राज्य में बिजली व्यवस्था को सुचारु बनाए हुए हैं। कई वर्षो तक नौकरी करने के बाद भी इन्हें स्थायी नहीं किया गया। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत आए अरबों रुपयों को राज्य सरकार ने पानी की तरह बहा दिया है, लेकिन कर्मचारियों के कल्याण तथा बिजली के बुनियादी ढांचे में कोई सुधार नहीं आया है। आलम यह है कि पैंतीस साल पहले लगाई गई बिजली की तारें जो अब टूट-फूट चुकी हैं, उन्हें दुरुस्त नहीं किया जा सका है। शहर व आसपास के अधिकतर इलाकों में बिजली की झूलती तारें दुर्घटनाओं को न्यौता दे रही हैं। गांवों में बिजली की आपूर्ति कई दिनों से ठप पड़ी हुई है, क्योंकि जले ट्रांसफार्मरों को बदला नहीं गया है। सरकार का यह दायित्व बनता है कि खस्ताहाल बिजली के ढांचे को दुरुस्त करें और जो कर्मचारी ड्यूटी के दौरान घायल या मौत का ग्रास बने हैं उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।

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[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]


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