मोबाइल पर सुविधाएं
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मोबाइल फोन ने आम आदमी की जिंदगी की कठिनाइयों को कम करने में बहुत मद
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मोबाइल फोन ने आम आदमी की जिंदगी की कठिनाइयों को कम करने में बहुत मदद की है। संचार क्रांति की बेहतरीन बानगी कहा जाने वाला यह छोटा सा फोन न जाने कितने किस्म की सूचनाएं उपलब्ध करा देता है। इसी क्त्रम में अब इसके माध्यम से सरकार से जुड़ी सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने की पहल निश्चित रूप से काबिले तारीफ है। इंडियन रेलवे कैर्टंरग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी) ने एक ऐसा एप्लिकेशन विकसित किया है जिसको अपने एंड्रॉयड मोबाइल फोन पर डाउनलोड करके लोग आसानी से रेलवे के टिकटों की बुकिंग करा सकेंगे। इसी प्रकार दिल्ली जल बोर्ड ने भी एक एप्लिकेशन विकसित किया है जिसके जरिये पेयजल और सीवर से संबंधित शिकायतें भी अपने मोबाइल फोन से आप जल बोर्ड तक पहुंचा सकते हैं। दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों ने भी इसी प्रकार के एप्लिकेशन विकसित किए हैं। इनके माध्यम से विभिन्न सरकारी एजेंसियों से संबंधित सेवाएं मोबाइल फोन के माध्यम से मुहैया कराई जा रही हैं। विभिन्न एजेंसियों द्वारा आम आदमी को आसानी से जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराने की ऐसी पहल का भरपूर स्वागत किया जाना चाहिए।
ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब विभिन्न सरकारी सेवाओं को हासिल करने के लिए दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम आदि के विभिन्न दफ्तरों में बनी अलग-अलग खिड़कियों के सामने लंबी-लंबी कतारें लगा करती थीं। किसी संस्थान में कोई आवेदन करना हो तो संबंधित व्यक्ति को वहां जाना और कतार में लगना जरूरी था, लेकिन इंटरनेट के जमाने में अब सारी सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं। चाहे किसी नौकरी का आवेदन पत्र हो अथवा किसी सरकारी प्रमाणपत्र का प्रारूप, सबकुछ ऑनलाइन है। इस ऑनलाइन सुविधा को हासिल करने के लिए भी किसी डेस्कटॉप अथवा लैपटॉप की जरूरत होती है, लेकिन मोबाइल फोन तो लगभग हर व्यक्ति की जेब में है। रेलवे टिकटों की बुकिंग यदि मोबाइल फोन से हो रही है तो जाहिर तौर पर यह बहुत ही सुखद कवायद है। रेलवे की इस पहल से रेल आरक्षण केंद्रों के बाहर लगने वाली कतारों के दृश्य बरबस आंखों के आगे आ जाते हैं। महज एक टिकट के लिए घंटों का इंतजार, मारामारी फिर दलालों के हाथों ठगे जने की विवशता आदि परेशानियां यात्री झेलते रहे हैं। अब उनको ऐसी मुसीबतों से छुटकारा मिलेगा और टिकट बेचने के लिए बड़े-बड़े आरक्षण केंद्र बनाने पर रेलवे को भी मोटा खर्च नहीं करना पड़ेगा।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]