अच्छी पहल
स्वास्थ्य मंत्री ने राजकीय मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों में डॉक्टरों व तीमारदारों के बीच होने वाली
स्वास्थ्य मंत्री ने राजकीय मेडिकल कॉलेज व सहायक अस्पतालों में डॉक्टरों व तीमारदारों के बीच होने वाली मारपीट की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात करने का फैसला कर सही कदम उठाया है। इस मांग को लेकर जूनियर डॉक्टर तीन दिनों से हड़ताल पर थे। इसके तहत अब जीएमसी और एसएमजीएस दोनों ही अस्पतालों में सुबह, दोपहर और रात तीनों ही शिफ्ट में इमरजेंसी में अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। यह सही है कि इस कदम से न सिर्फ तीन सौ जूनियर डॉक्टर काम पर लौट आए बल्कि उनकी महीनों से चली आ रही मांग भी पूरी हो गई। मगर आए दिन होने वाली इन घटनाओं की मूल समस्या को भी दूर करने की जरूरत है। यह सर्वविदित है कि इमरजेंसी में मरीजों की संख्या की अपेक्षा उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों की संख्या बहुत कम है। अधिकांश मरीज ऐसे होते हैं जिनकी हालत गंभीर होती है और उनके तीमारदारों का यह प्रयास होता है कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर उनके मरीज को प्राथमिकता पर देखें। ऐसा न होने पर ही डॉक्टरों व तीमारदारों में कहासुनी हो जाती है। विडंबना यह है कि इस ओर कोई भी ध्यान नहीं देता। संबंधित मंत्री हो या फिर अधिकारी मर्ज का इलाज करने के स्थान पर दर्द का इलाज कर चले जाते हैं, लेकिन कुछ दिनों में ही दर्द फिर बढ़ जाता है और समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। बेहतर होगा अगर नवनियुक्त स्वास्थ्य मंत्री इस समस्या के मूल कारणों का समाधान करने का प्रयास करें। विगत दिवस स्वास्थ्य मंत्री ने जीएमसी में दिनभर कई बैठकें आयोजित कर डॉक्टरों की कई मांगों का समाधान करने के अलावा मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर गंभीरता तो दिखाई है, लेकिन उसका जमीनी स्तर पर मरीजों को कितना लाभ मिलता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों का बोझ होने का एक बहुत बड़ा कारण जिला उप-जिला अस्पतालों में सुविधाओं की कमी का होना भी है। दुख की बात है कि सरकार के दावों के बावजूद यह अस्पताल मात्र रेफर अस्पताल बनकर रह गए हैं। चार वर्ष पूर्व तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने बिना किसी कारण मरीजों को रेफर करने वाले डॉक्टरों व अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए थे। कुछ महीनों तक इसका असर भी देखने को मिला, लेकिन जल्द ही यह आदेश भी अन्य सरकारी आदेशों की तरह ही बाद में अनदेखी का शिकार हो गया। यह अच्छी बात है कि उन्होंने डॉक्टरों व तीमारदारों को ड्रेस कोड का पालन करने के भी निर्देश दिए हैं। इससे कई मरीजों व उनके तीमारदारों को डॉक्टरों व अन्य स्टाफ की पहचान करना भी आसान होगा।
[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]