सफलता के लिए कर्म के साथ ही समय प्रबंधन भी बेहद जरूरी है। उचित समय पर किया गया कर्म हमेशा फलदायी होता है। जो व्यक्ति तय समय पर अपना काम नहीं करते उनकी सफलता संदिग्ध ही रहती है। इसलिए लक्ष्य निर्धारण के साथ व्यक्ति को समय प्रबंधन का भी ध्यान रखना चाहिए। जो व्यक्ति समय की कद्र नहीं करते समय उनकी कद्र नहीं करता। सफल लोग अपने समय का सदुपयोग करते हैं और असफल लोग ज्यादातर समय अपने दुखों और परेशानियों का ही रोना रोते रहते हैं। सफल वही लोग होते हैं जो लक्ष्य तय करने और उसकी प्राप्ति के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करते हैं। ऐसे लोगों को यह मालूम होता है कि उन्हें किस और कितने समय में अपने कार्यों को पूरा करना है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि ऐसे लोग असफल होते ही नहीं हैं, लेकिन वे अपनी असफलता से भी बहुत कुछ सीखते हैं और निरंतर कोशिश करते रहते हैं। वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन जब हजारों प्रयोग करने के बाद भी सफल नहीं हुए तो उनके एक मित्र ने उनसे पूछा कि अब क्या करोगे? उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि एक कोशिश और करूंगा। समय प्रबंधन का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि इंसान गलतियां नहीं करेगा। इंसान से गलतियां होना स्वाभाविक बात है, लेकिन कभी कोई गलती हो जाने के बाद हमें तुरंत उसमें सुधार करना चाहिए। हमें काम करने के दौरान उसका आकलन भी करते रहना चाहिए कि जैसा हमने सोचा था, क्या काम उसी के अनुरूप हो रहा है। ऐसे आकलन से हम समय को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।
हमें सभी कार्यों को मन लगाकर करना चाहिए। मनुष्य को एक समय में एक ही काम करना चाहिए। एक साथ कई काम करने से कभी-कभी कोई भी काम समय पर पूरा नहीं होता है। इसके विपरीत जब हम एक मुख्य कार्य पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हमारी एकाग्रता बढ़ जाती है और हम कम समय में सार्थक कार्य करते हैं। इसी तरह हमें जो काम सरल लगता है उसे पहले करना चाहिए, क्योंकि इस तरीके से भी हम अपना काफी समय बचा सकते हैं। हमें नहीं कहना भी आना चाहिए। हर व्यक्ति की कार्य करने की एक क्षमता होती है। हमें अपना उतना ही काम तय करना चाहिए जितना हम निश्चित समय में सफलतापूर्वककर सकें। अन्यथा काम का ज्यादा बोझ मनुष्य के दिमाग में दबाव उत्पन्न करता है जिससे उसका सारा काम प्रभावित हो सकता है।
[ शंभूनाथ पांडेय ]