संघर्ष जीवन की एक कसौटी है जो अंत में विजय का द्वार खोलती है और समस्या का समाधान करती है। संघर्ष का जीवन जीना है तो भूल को भूलना सीखना होगा। प्रतिशोध के कटु परिणाम ही आते हैं। इसलिए क्षमा सहज-सरल जीवनशैली का मूल मंत्र है। जीवन में परिवर्तन का क्रम चलता रहता है। अगर एक जैसी परिस्थितियां बार-बार हो रही हों तो कभी यह नहीं समझना चाहिए कि अब जीवन में सब कुछ समाप्त हो गया है। मेरे लिए कुछ नहीं बचा है। संघर्षशील व्यक्ति को एक बार पुन: उसी जोश व उत्साह के साथ नए सिरे से प्रयास में जुट जाना चाहिए। प्रयास सफलता की कुंजी होती है। संघर्ष काल में यह बात हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। व्यक्ति पुरुषार्थ कर सकता है, लेकिन परमार्थ का फल समय से पूर्व प्राप्त नहीं कर सकता। कहते हैं कि समय से पहले और मुकद्दर से ज्यादा न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा। उसके लिए इंतजार ही सबसे बड़ा सहयोग है। इस सोच से ही व्यक्ति प्रतिकूलताओं में भी अनुकूलता की सुगंध भर सकता है। जीवन का विकास कर सकता है।
सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। चुनौतियां केवल बुलंदियों को छूने की नहीं होतीं, बल्कि वहां टिके रहने की भी होती हैं। यह ठीक है कि एक काम करते-करते हम उसमें कुशल हो जाते हैं। उसे करना आसान हो जाता है, पर वही करते रह जाना हमें अपने ही बनाई सुविधा के घेरे में कैद कर लेता है। रोम के महान दार्शनिक सेनेका कहते हैं कि कठिन रास्ते भी हमें ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। अनिश्चितताएं हमारी शत्रु नहीं हैं। कुछ स्थायी नहीं होना बताता है कि मैं और आप कोई भी जीवन की असीमित संभावनाओं को जान नहीं सकते। कभी आप अनिश्चितताओं की तरफ बढ़ते हैं तो कभी वे आपको ढूंढ़ लेती हैं। यही जीवन है। हर रात के बाद सवेरा आता ही है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान और सुहानी होगी। गर्म हवाओं के चलने से ही जल वाष्प बनकर मेघ बनता है और फिर जीवनदायिनी वर्षा के रूप में बरसता है। जीवन में आए दुख, चिंता, तनाव और समस्या ही मनुष्य को निरंतर कर्मशील रखती है। सच तो यह है कि विपत्ति एक कसौटी है जिस पर कसकर मनुष्य का व्यक्तित्व और चरित्र जांचा-परखा जाता है। आपका हर दिन बीते दिन से अलग है। इसे स्वीकारना ही जीवन को गले लगाना है।
[ ललित गर्ग ]