हर इंसान परिवर्तन से भयभीत होता है। कुछ लोगों को जिंदगी में अचानक आने वाले बदलाव डरा देते हैं। ऐसे लोगों के मन में कुछ इस तरह के सवाल चलते रहते हैं कि क्या होगा अगर नौकरी पर कोई आंच आ गई? क्या होगा अगर जीवनसाथी छोड़ कर चला गया? क्या होगा परीक्षाओं में उत्तीर्ण नहीं हुआ तो? क्या होगा व्यापार ठप हो गया तो? क्या होगा अगर सपना, सपना ही रह गया तो? निराशा और भय की ये स्थितियां सफलता की सबसे बड़ी बाधा होती हैं। हमें विश्वास नहीं खोना चाहिए। जब हम कुछ करने की ठानते हैं तो सफलता ही मिले, यह जरूरी नहीं। देरी होती है, चुनौतियां भी खड़ी होती हैं और कई बार सब करने पर भी निराशा मिलती है। हम अपनी ही सोच और क्षमताओं पर संदेह करने लगते हैं। ऐसा लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता। लेखिका एलेक्जेंड्रा फ्रेंजन कहती हैं, ‘अगर दिल धड़क रहा है, फेफड़े सांस ले रहे हैं और आप जिंदा हैं तो कोई भी भला, रचनात्मक और खुशी देने वाला काम करने में देरी नहीं हुई है।’ इसलिए हम में विश्वास होना चाहिए कि एक न एक दिन हम हर तूफान को पार कर लेंगे और पहले से बेहतर स्थिति में पहुंच जाएंगे।
इंसान की विडंबना है कि वह खुद से ही ठगा जाता है। प्रमाद और अज्ञानता की वजह से मन की मूढ़ता हर चौराहे पर इसलिए ठगी जाती है कि वह सत्य को पहचान नहीं सकी। वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन कहते हैं, ‘जीने के केवल दो ही तरीके हैं। पहला यह मानना कि कोई चमत्कार नहीं होता है और दूसरा कि हर वस्तु एक चमत्कार है।’ रॉबर्ट जे. कॉलियर कहते हैं, ‘सफलता छोटे-छोटे कई प्रयासों का नतीजा होती है, जिन्हें कई दिनों तक बार-बार दोहराया जाता है।’ अगर आप एक के बाद एक कदम उठाते रहें, जरूरत के हिसाब से बदलते रहें तो मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे। जीवन में चाहे कितनी उदासियां क्यों न आएं, मुस्कराहट के फूल खिलाते रहिए। अपने धैर्य को, अपनी शक्ति को और आपने विश्वास को मत टूटने दीजिए। किसी भी प्रकार की परिस्थिति क्यों न आए आप अपने-आप में संतुलन बनाए रखिए। यह दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है कि आपसे ज्यादा आपको कोई नहीं समझ सकता है। आप जानते हैं कि किस कारण आपके समक्ष विपरीत परिस्थितियां पैदा हुई हैं और यह भी जानते हैं कि इन परिस्थितियों से कैसे छुटकारा मिल सकता है।
[ ललित गर्ग ]