डॉ. देवेंद्र कुमार

नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में शासन की कमान संभाली ली थी तब देश अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा था। विकास दर पांच फीसद से भी नीचे थी और देश का खजाना लगभग खाली था। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का सम्मान लगातार गिर रहा था और भारत सरकार अपना भरोसा गंवा चुकी थी। मोदी ने पिछले तीन वर्षों में अनिश्चितता के इस माहौल को दूर करने में सफलता पाई है। इससे आम जनता का सरकार और उसके नेतृत्व पर भरोसा वापस लौटा है। विरासत में मिली जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने अनेक आर्थिक सुधार किए। मई 2014 के बाद जितने आर्थिक फैसले लिए गए वे 1992 के बाद 22 साल तक नहीं लिए गए। अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए आर्थिक मामलों में सरकारी दखल को कम किया गया जिससे ब्राडबैंड, कोयला खदानों की नीलामी बिना किसी गफलत के हुई और सरकारी खजाने को भारी लाभ हुआ। नोटबंदी के बड़े फैसले से करोड़ों का कालाधन अर्थव्यवस्था में वापस आया और अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण को बल मिला। यह नोटबंदी और अन्य आर्थिक सुधारों का ही परिणाम है कि 90 लाख से अधिक नए करदाता बढ़े हैं और राजस्व में 18 फीसद का इजाफा हुआ है। गरीब कल्याण की योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए डीबीटी कानून बनाकर 224 सरकारी योजनाओं को इसके दायरे में लाया गया। इससे लगभग 52 हजार करोड़ के भ्रष्टाचार को रोका जा सका।
वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण सरकार को काफी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा जिससे डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य अभी भी काफी दूर दिख रहा है। इसी तरह नोटबंदी के कारण बैंकों के मुद्रा भंडार में तो भारी वृद्धि हुई, किंतुु एनपीए की समस्या के कारण क्रेडिट प्रणाली को सुचारू बनाना अभी भी सरकार के लिए एक चुनौती है। आर्थिक सुधारों से सरकारी खजाने में जो अतिरिक्त राजस्व आया उससे मोदी सरकार ने जनकल्याण के कामों को एक नया आयाम दिया। पहले की सरकारों की मुफ्तखोरी वाली योजनाओं से हटकर मोदी सरकार ने गरीबों को ऐसे लाभ दिए जिससे उनमें आत्मविश्वास बढ़े और उनका आर्थिक और सामाजिक स्वावलंबन हो सके। उज्ज्वला से दो करोड़ गरीब महिलाओं को रसोई गैस, साढ़े चार करोड़ शौचालयों,14 हजार गांवों के बिजलीकरण, आसान होम लोन, फसल बीमा, कृषि उत्पाद के बेहतर दाम और सस्ता स्वास्थ्य बीमा जैसे तमाम प्रयासों के द्वारा मोदी सरकार ने गरीबों को राहत दी है। लगभग 50 वर्ष पहले कांग्रेस ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण तो कर दिया था परंतु गरीबों को उसका लाभ इसलिए नहीं मिला, क्योंकि उनके बैंक खाते ही नहीं थे। जनधन योजना के तहत 28.52 करोड़ खाते खोल कर मोदी सरकार ने देश के प्रत्येक परिवार को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा। स्वतंत्र भारत में छोटे उद्यमियों और गरीबों को बैंकिंग प्रणाली का लाभ पहली बार मोदी सरकार ने मुद्रा बैंक योजना के जरिये दिया। इसमें 7,64,11,764 लोगों को 3,28,452 करोड़ रुपये का कर्ज मिला है जिससे करोड़ों की संख्या में रोजगार का सृजन हुआ है। हालांकि औपचारिक क्षेत्र में आशानुरूप रोजगार सृजन नहीं हो पाया है, परंतु मुद्रा जैसी योजना से स्वरोजगार को बढ़ावा देकर इस कमी को काफी हद तक पूरा किया गया है।
मोदी के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय जगत में भी भारत का सम्मान तेजी से बढ़ा है। आज मोदी की गिनती दुनिया के लोकप्रिय और सर्वमान्य नेता के रूप में होती है। अमेरिका, रूस, यूरोप, एशिया, अफ्रीका जहां कहीं भी मोदी गए वहां अमिट छाप छोड़कर आए। आज दुनिया के हर देश में प्रवासी भारतीय को सम्मान से देखा जाता है। यह भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय धाक और मोदी सरकार के प्रयासों का ही नतीजा है कि यमन, लीबिया, इराक और सीरिया में फंसे हजारों भारतीयों को सुरक्षित निकाला जा सका। पिछले वर्ष सितंबर में सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक और अभी हाल में पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त करके सरकार ने घुसपैठ करने वाले आतंकियों को सख्त संदेश दिया है। इन कार्रवाइयों से न सिर्फ सैन्य शक्ति का मनोबल मजबूत हुआ है, बल्कि हर भारतीय का आत्मसम्मान बढ़ा है। यह सरकार के कामों का ही असर है कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन अनुकूल परिस्थितियों का भरपूर लाभ लेते हुए तेजी से पार्टी का विस्तार करने का काम किया है।
मोदी के काम और शाह की रणनीति का ही परिणाम है कि भाजपा चुनावों में नित नए कीर्तिमान बनाते हुए राजनीति का केंद्र बन गई है। भाजपा उन प्रांतों में भी तेजी से बढ़ रही है जहां उसे 2014 में सफलता नहीं मिली थी। मई 2014 के बाद अब तक 16 प्रांतों में चुनाव हुए हैं। चुनावों से पहले इन 16 प्रांतों में से भाजपा सिर्फ गोवा में सत्तारूढ़ थी और पंजाब में गठबंधन सरकार में थी। बाकी 14 प्रांतों में कांग्रेस और अन्य दलों की सरकारें थी, परंतु पिछले तीन सालों में 16 में से आठ प्रांतों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं और जम्मू कश्मीर में उप मुख्यमंत्री है। तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरी में भाजपा परंपरागत रूप से कमजोर रही है, परंतु शाह के प्रयासों से यहां भी तेजी से बढ़ रही है। भाजपा के केरल में लगातार बढ़ते जनाधार का प्रमाण यह है कि मुख्यमंत्री पी विजयन ने माना कि भाजपा ही प्रमुख विपक्ष है। बंगाल के उपचुनावों में भाजपा ने वामदलों और कांग्रेस को पीछे छोड़ा। शाह के हालिया बंगाल प्रवास के बाद महाली दंपति को डरा-धमका कर ममता बनर्जी के लोगों ने जिस तरह अपने झंडे के नीचे लिया वह उनकी छटपटाहट ही दर्शाता है। ओडिशा में भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी थी परंतु पिछले पंचायत चुनाव में मिली भारी सफलता के बाद वह कांग्रेस को पछाड़कर सत्तारूढ़ बीजद को कड़ी चुनौती दे रही है। सवा सौ करोड़ आबादी वाले देश में अभी भी बहुत समस्याएं हैं और विकसित राष्ट्र बनने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। गरीबी, नक्सलवाद, आतंकवाद, निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और कृषि में अनिश्चितता जैसी समस्याओं से देश अभी भी जूझ रहा है, लेकिन मोदी के नेतृत्व में देश को एक निश्चित दिशा मिली है और इसी कारण देश का भविष्य बेहतर दिखता है।
[ लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं ]