मुरली मनोहर श्रीवास्तव

बीते दिनों आई एक खबर से चूहों की बस्ती में सरगर्मी खासी बढ़ गई थी। खबर यह थी कि बिहार में शराबबंदी के दौरान जब्त लगभग नौ लाख लीटर शराब का सेवन चूहों ने कर लिया। बाजार में इतनी शराब की कीमत तकरीबन 90 करोड़ रुपये बताई गई है। अपनी प्रजाति पर ऐसे आरोप लगते ही चूहों के सरदार के कान खडे़ होने लाजिमी ही थे। उनकी चिंता यह थी कि अब इंसानी जाति उनके दमन के लिए न जाने कौन-कौन सी तिकड़में आजमाएगी। उन्हें यह चिंता भी खाए जा रही थी कि अनाज जैसी मामूली चीज में जरा सी हेराफेरी के लिए इंसान पहले से ही उसके पीछे पड़ा है और अब उसकी शराब जैसी चीज में सेंध लगाने पर उन्हें कुचलने की कोशिश हो सकती है। चूहे सरदार को अपनी प्रजाति पर घोर संकट के बादल मंडराने की आशंका सताने लगी। वह समझ नहीं पा रहा था कि गेंहू, चावल, बिजली के तार, फाइल आदि खा जाना तो उनकी फितरत में है, लेकिन आखिर उन्हें शराब की लत कैसे पड़ गई? उसे लगा कि अगर सही समय पर मुद्दा नहीं उठा तो कहीं ऐसा न हो कि यह लत चूहों की आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर दे और उनका अस्तित्व ही मिट जाए। ऐसे तमाम सवालों को लेकर सरदार ने चूहों की महासभा बुलाई।
महासभा में चूहा सरदार ने सबको विस्तार से बताया कि यह मामला प्लेग, गेहूं के गोदाम खाली होने या फिर अहम फाइल कुतरने से बड़ा है। इस बार मामला महंगी विदेशी शराब से लेकर ठर्रा तक गटक जाने का है। मैं इस मामले को न सीधे नकार सकता हूं न ही गलत ठहरा सकता हूं। कारण यह है कि यह आरोप हमारी ही प्रजाति के कंप्यूटर माउस से सोशल मीडिया में सुशासन के दौर में वायरल हुआ है। इसकी जांच जिन लोगों के हाथों में है वे वही लोग हैं जिनके डर से शेर भी अपनी जान बचाने के लिए हमारी तरह चूहे बन कर घूमते हैं। इसलिए यह तो पक्का मानकर चलिए कि यह तो सिद्ध हो ही जाएगा कि थानों में जमा शराब हम चूहों ने ही पी है। वैसे हमारी कुल आबादी के अनुपात में इसे बराबर- बराबर बांट दें तो भी हर चूहे पर एक लीटर से अधिक शराब आती है। मैं जानता हूं कि इतनी औकात हममें नहीं है। उन नए चूहों से तो मैं बाद में निपट लूंगा जिन्होंने सेफ कस्टडी मे रखी बोतलों का ढक्कन खोलकर शराब पीकर हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर डाली। फिलहाल यह देखना है कि हमारे खिलाफ कैसा अभियान चलने वाला है?
सावधान रहना, हमारे बिलों में पानी और जहर डाल-डाल कर हमें निकाला जाएगा और दौड़ा-दौड़ा कर मारा जाएगा। इस सबकी वीडियो रिकार्डिंग भी होगी और फिर उसके वीडियो वाट्सएप से लेकर फेसबुक तक वायरल होंगे। इसके बाद चूहों को मारने का अभियान चलाने वाले पुरस्कृत होंगे। बड़े-बड़े खिताबों से नवाजे जाएंगे, सो इस आफत से बचाने का किसी के पास कोई माकूल उपाय हो तो हमें सुझाए। इतना सुनते ही सभी चूहों के सिर थोडे़ शर्म और थोड़े डर से झुक गए। बुजुर्ग चूहे उन चूहों को लानत देने लगे जिनकी शराब चखने की लत से पूरी प्रजाति मुसीबत में पड़ गई है। ऐसे गमगीन माहौल में एक नौजवान चूहा लहराते हुए उठा। उसकी चाल से साफ जाहिर था कि उसने जमकर पी रखी है।
नौजवान चूहा लड़खड़ाते हुए मंच पर पहुंचा और बहकी हुई आवाज में बोला, ‘दोस्तों हम लोकतंत्र में जी रहे हैं और हमें इस तरह घबराने की जरूरत नहीं है। हां हमने शराब पी है। अगर पी ली है तो कोई गुनाह नहीं किया है और यह तो शायर भी कहता है-हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है। उसके बोलने के बाद एक और चूहे ने कहा कि उसने तो वैज्ञानिक प्रयोग के लिए शराब पी थी। मैंने एक दिन दो इंसानों की बात सुनी थी, जो तीसरे इंसान के बारे में कह रहे थे कि देखो तो सही, दो पैग पीने के बाद वह चूहा कैसे शेर बना फिर रहा है? मैं असल में इसी प्रयोग की पुष्टि करना चाह रहा था।
उसकी बात काटते हुए पहले चूहे ने कहा कि कहने का मतलब यही है कि अगर हमने शराब पी भी है तो सौ-दो सौ लीटर या हजार दो हजार रुपये की। यह नौ लाख लीटर शराब पीने का इल्जाम हम अपने सिर नहीं ले सकते। हमारा भी कोई कैरेक्टर है। उसने ऐलान किया, सुनो दोस्तों हम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे और अपने ऊपर लगे सभी आरोप नकार देंगे। इससे पहले कि हमें खत्म करने का कोई अभियान चलाया जाए, हम अपनी रक्षा के लिए जानवर अधिकार आयोग में अर्जी देंगे। अगर हमारी सुने बिना, हमारे खिलाफ कार्रवाई की जाती है तो फिर सामाजिक न्याय का क्या होगा? हमें उम्मीद है कि हमारे कंप्यूटर वाले माउस भी हमारा साथ देंगे। हम अकेले ही थोड़े इस शराबखोरी मे शामिल थे। वैसे भी हम तो न जाने कब से थोड़ी-थोड़ी पी रहे हैं। हमें क्या पता था कि सुशासन के इस दौर में हम चूहों पर भी शराबबंदी लागू कर दी गई है? यह तो नाइंसाफी है। हम इससे लड़ेंगे...।

[ हास्य-व्यंग्य ]