हम जो मन्नत मांगते हैं, उसके पूरा होने का कार्य हमारा संकल्प करता है। मन्नत का पूरा होना हमारी दृढ़ता का परिणाम होता है। सोच में बहुत बड़ी ताकत होती है, चाहे वह अच्छी सोच हो या अशुभ चिंतन। हमारी सफलताएं हमारे दृढ संकल्प का परिणाम होती हैं, जिसके लिए हमारी निरंतर सोच और लक्ष्य का विचार बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। आप एक सोच को निरंतर बुनते रहते हैं, तो वह ब्रह्मांड में एक डिजाइन बनाने लगता है, बनते बनते वह एक दिन वास्तविकता बन जाता है और यह आपका अपना सृजन होता है। जितनी उत्कृष्टता से आप अपनी इच्छा का सिंचन करते हैं उतनी जल्दी, वह वास्तविकता में परिवर्तित होता है। कभी-कभी तो आप बार-बार अपने लक्ष्य के बारे में सोच-सोच कर अपनी परियोजना के नए-नए स्वरूप के बारे में भी चिंतन करने लगते हैं और एक दिन आपको लगता है कि आपका प्रोजेक्ट आपकी सोच से भी बेहतर होकर उभर आया है।
यह एक वास्तविकता है। यदि आपकी इच्छाएं पूरी नहीं होतीं, तो यह आपकी मानसिक शक्ति की शिथिलता के कारण होता है। आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते,संदेह करते रहते हैं। आपको पता होना चाहिए कि बात बनाने के लिए निकले हैं, तब बात तो बननी ही है और बात न बनने का कारण कहीं आप स्वयं होते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि आपके मन की अस्थिरता आपके डिजाइन को बिगाड़ देती है, तोड़ देती है और उसमें बार-बार बस कोशिश ही होती रहती है, कभी फलीभूत नहीं होती। एक ही पवित्र स्थान पर जाकर कई लोग मन्नत मानते हैं। बहुत लोगों से आप सुनते हैं यहां आकर जिसने भी श्रद्धा से मन्नत मांगी, वह पूरी होती है,पर कुछ लोग बताते तो नहीं हैं कि उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई बस प्रतीक्षा करते रहते हैं। उनके विश्वास का अभाव उनकी असफलता का कारण होता है। किसी विशिष्ट स्थान पर अच्छी भावना लेकर लोग एकत्र होते हैं, तो एक सकारात्मक वातावरण बनता है, जिसका अपना महत्व होता है, किंतु प्रकारांतर से यह भी अच्छे सोच की शक्ति ही होती है, जो सब मानने वालों को मजबूती देती है और यही मजबूती आपके छोटे से प्रयास को भी फलीभूत कर देती है। अनेक रोग हमारी सोच के परिणाम होते हैं। मनोविज्ञान का यह एक प्रामाणिक तथ्य है। फिर संकल्प या शुभ सोच की शक्ति को हम क्यों नहीं पहचानते?
[ डॉ. प्रेम लता ]