महापुरुषों के इस कथन में शतप्रतिशत सच्चाई है कि श्रीराम का नाम संकट से मुक्ति दिलाता है। जो इस कथन को सकरात्मक दृष्टि से लेता है वह तो इस कथन पर मुहर लगाता है, लेकिन नकारात्मक जीवन जीने वाले इसका उपहास उड़ाते हैं। सकारात्मक ढंग से इसको लेने वाले राम नाम जपने के पहले राम के गुणों और आदर्शों को अपने जीवन में अपनाते हैं। राम के आदर्शों को अपनाने वाले सदाचार, सत्यता और मानवीय मूल्यों के साथ कार्य करते हैं और उन्हें सफलता मिलती है। ऐसे लोग गलत कार्यों के बल पर धन, पद, वैभव पाने की कोशिश में नहीं पड़ते। वे यह जानते हैं कि जो काम उन्हें खराब लगता है, वह दूसरों को भी खराब लगेगा। यानी राम सिर्फ नाम नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसे यदि कोई भी व्यक्ति अपने मन-मस्तिष्क में लोड (अपना लेना) कर लेता है तो जिंदगी के स्क्रीन (दिनचर्या) पर तदनुसार प्रिंट आउट (परिणाम) दिखाई पड़ेगा।
जब लंका पर चढ़ाई के लिए भगवान राम की सेना पुल बनाने लगी और नल-नील के हाथ राम नाम अंकित पत्थर तैरने लगे तो लंका की सेना में खलबली मच गई। अपनी सेना का मनोबल गिरने न पाए इसलिए रावण ने सेनाध्यक्ष से कहा था, इतनी छोटी सी बात से आप डर गए। यह तो बचपन में खेल-खेल में अपने नाम का पत्थर डालता था तो वह भी तैरता था। यकीन न हो तो चलो मैं ऐसा करता हूं। उसने रावण नाम अंकित पत्थर डाला तो वह भी तैरने लगा। जब यह जानकारी मंदोदरी को हुई तो वह पूछ बैठी-स्वामी, यह कैसे हुआ? रावण ने जवाब दिया-मंदोदरी, श्रीराम की ताकत से ऐसा हुआ। रावण को मालूम था कि डूबने से बचना है तो राम का नाम ही एक सहारा है। आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से राम सिर्फ नाम नहीं, बल्कि रचनात्मक जीवनशैली एक तरीका है। यही स्थिति बाली और सुग्रीव युद्ध में भी देखी गई। प्रतिपक्षी की आधी ताकत छीन लेने की क्षमता के कारण जब सुग्रीव पराजित होकर श्रीराम के पास लौटे तब पेड़ की आड़ में खड़े श्रीराम ने सुग्रीव के गले में माला डाल दिया जो एक ऐसा प्रभावी यंत्र था कि बाली पराजित हुआ। इसलिए जिंदगी में सुख, शांति, समृद्धि के लिए राम जपने के साथ राम के चरित्र का जहां तक संभव हो सके अनुसरण करना चाहिए।
सलिल पांडेय