अभी यह न तो ब्रेकिंग न्यूज बनी है और न ही एक्सक्लूसिव, लेकिन सोशल मीडिया में चलकर यह खबर बिल्कुल हष्टपुष्ट हो चुकी है कि भारत में स्टार्टअप के रूप में अपने किस्म का एकदम नया-अनोखा उद्यम शुरू होने वाला है। जैसे आइआइटी करके निकले तमाम छात्रों के दिमाग में कुछ न कुछ नया उपजता रहता है वैसे ही यह स्टार्टअप आइटीआइ करके निकले एक छात्र के दिमाग की उपज है। जैसे और स्टार्टअप एप आधारित होते हैं वैसे ही यह भी एप आधारित है। इसका नाम है बी एंड बी। पूरा नाम है-बहाना एंड बहाना। इसका एप डाउनलोड कर हर कोई एकदम नए और नायाब बहाने हासिल कर सकता है। इस एप को लांच करने की तैयारी के बीच यह दावा किया गया है कि इसके जरिये ऐसे बहाने हासिल किए जा सकते हैं जिन पर सहज ही यकीन आ जाए। बहाना एंड बहाना के एक बहानेबाज सहयोगी ने खुद को भरोसेमंद सूत्र बताते हुए कहा कि हमारे बहाने इतने सटीक और असरकारी हैं कि बहाना सुनने वाले उस पर यकीन ही नहीं करते, बल्कि उसका इस्तेमाल करने वाले को दिलासा भी देने लगते हैं। उनके मुताबिक इसकी परख एक प्रायोगिक परीक्षण में हुई जो देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के उन लोगों के बीच किया गया जिनके बारे में यह धारणा है कि उन्हें बहाना बनाने की ज्यादा जरूरत पड़ती है। प्रायोगिक परीक्षण के दौरान हर कोई बहाना एंड बहाना के नए नवेले बहानों का मुरीद पाया गया, लेकिन सबसे ज्यादा पसंद किया नेताओं और अफसरों ने। कर्मचारियों ने भी खूब पसंद किया, लेकिन उन्होंने यह बहाना बना दिया कि उन्हें ये बहाने पसंद नहीं आए। इसके बाद प्रेमी-प्रेमिकाओं और छात्रों एवं मास्टरों ने भी बहाने पसंद किए।
बहाना एंड बहाना के बहानेबाज सूत्र ने अपने सीईओ का नाम अभी सार्वजनिक न करने के लिए तो बहाना बना दिया, लेकिन यह बात विस्तार से बताई कि एकदम नए-नवेले बहाने जुटाकर उनका डाटाबेस बनाना एक मुश्किल काम था। इस काम को आसान बनाने में उन लोगों से मदद मिली जो बहाने बनाने में माहिर समझे जाते हैं। सबसे अधिक बहाने दिल्ली में एक पुराने आलीशान भवन में काम करने वालों से मिले। वहां काम करने वाले लोग हर वक्त बहाना बनाकर काम टालने के मूड में रहते हैं। वे ड्यूटी पर तो समय से आते हैं, लेकिन जैसे ही काम शुरू करने की बारी आती है वे काम न करने की जिद पकड़ लेते हैं। वे इतने प्रोफेशनल हैं कि बाकायदा पेशकश करते हैं कि हमें कोई काम नहीं करना या फिर यह वाला नहीं वह वाला करना है। अगर कभी उनकी पेशकश मंजूर हो जाती है तो भी नारेबाजी करते हैं और नहीं होती तो भी। कुछ तो नारे लिखे बैनर लेकर आते हैं। वे उन्हें इस तरह लहराते हैं कि हर कोई देख ले। अगर इसमें किसी तरह की अड़चन आती है तो वे नाराज होकर बाहर चले जाते हैं। जब पूछा गया कि आखिर ऐसी बहानेबाजी कैसे संभव है और भला इस पर कौन यकीन करेगा कि यह सब होता होगा? इस पर हैरानी भरा जवाब मिला कि अरे, इस सबके बारे में तो अखबारों में बड़ा-बड़ा छपता है और टीवी चैनल पर भी खूब ब्रेकिंग न्यूज आती है। जब इस बारे में स्पष्ट करने को कहा गया तो कुछ खबरों की क्लिपिंग दिखाई गई। उनमें लिखा था-‘पूरे दिन हंगामा।’ ‘लगातार तीसरे दिन भी नहीं हुआ कोई काम।’ ‘शेष तीन दिन में कुछ काम होने की उम्मीद।’ ‘सदन के बाहर भी नारेबाजी।’ ऐसी खबरों की क्लिपिंग दिखाकर बहाना एंड बहाना के बहानेबाज सहयोगी ने सवाल किया कि जब पूरा मीडिया और देश इस पर यकीन कर लेता है कि वही पुराने बहाने बनाकर कोई काम नहीं किया जा सकता तो फिर हमारे नए नवेले बहाने कैसे किसी के काम नहीं आएंगे? उन्होंने बताया कि हमने दिल्ली के अलावा देश में ऐसी ही और आलीशान इमारतों में जाकर वहां काम करने वालों से बहाने जुटाए हैं। नई और पुरानी तरह की राजनीति करने वाले भी उन्हें थोक में बहाने उपलब्ध करा रहे हैं।
बहाना एंड बहाना ने कुछ बहाने आयात भी किए हैं। सबसे ज्यादा बहाने पाकिस्तान में उपलब्ध थे, लेकिन वहां से उनका आयात संभव नहीं था इसलिए वाया चीन हासिल करने पड़े। चीन एक-दो बार चलने वाले बहाने बनाने के साथ ही पाकिस्तान से कच्चे माल की शक्ल में बहाने खरीदता है और फिर उ नकी पैकेजिंग करके दुनिया भर को निर्यात करता है। बहाना एंड बहाना को चीन से बहाने खरीदने का आइडिया तब आया जब चीन का यह बहाना संयुक्त राष्ट्र में भी चल गया कि वह आतंकवाद से पीड़ित है, लेकिन उससे लड़ने के नाम पर किसी भी मसूद अजहर को परेशान नहीं होने देगा। बहाना एंड बहाना के सामने एक समस्या भी है और वह यह कि सरकार उनके उद्यम को स्टार्टअप के रूप में मान्यता देने से बच रही है। संबंधित विभाग के अफसर तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं। इससे भी बड़ी मुश्किल यह है कि सीईओ के घर वाले यह समझ रहे हैं कि वह कोई काम-धंधा करने के बजाय बहाने बना रहा है। उसे घर वालों को यह समझाना मुश्किल हो रहा है कि उसने बहाने बेचने का स्टार्टअप स्टार्ट किया है और इसीलिए वह अभी अपना नाम उजागर करने से बच रहा है।

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