सभी राजनीतिक दल सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका वाले तंत्र की स्थापना चाहते हैं ताकि अपने राजनीतिक हितों के अनुकूल जजों की नियुक्ति की जा सके। हमारी राय में ऐसा नहीं होना चाहिए। पिछले 20 वर्षो से हम न्यायपालिका की कार्यप्रणाली की गहरी समझ रखने वाले पांच पूर्णकालिक सदस्यों वाले राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन की मांग कर रहे हैं। वे सदस्य रिटायर्ड जज या वरिष्ठ वकील हो सकते हैं। इनके पूर्णकालिक होने से यथा संभव श्रेष्ठ जजों को खोजने के लिए ये पर्याप्त समय दे सकेंगे। वे कार्यरत एवं रिटायर्ड जजों, बार के सदस्यों और आम लोगों से नियुक्ति से संबंधित सुझाव आमंत्रित करेंगे। उपयुक्त व्यक्तियों के नाम सूचीबद्ध करने के बाद इनके पक्ष और विपक्ष में लोगों की राय जानने के लिए प्रकाशित करने चाहिए ताकि आयोग के संज्ञान में यदि कोई तथ्य नहीं है और किसी के खिलाफ कोई विपरीत टिप्पणी आती है तो आयोग स्वयं जांच एजेंसी से उसकी जांच करा सके। उसके बाद आयोग द्वारा श्रेष्ठ व्यक्ति का चयन किया जाना चाहिए और उसकी सहमति लेनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति का चयन अंतिम माना जाना चाहिए और राष्ट्रपति पर बाध्यकारी होना चाहिए। अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का उठता है। आयोग के चेयरमैन का चुनाव सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों द्वारा किया जाना चाहिए। दूसरे सदस्य का चुनाव एक कोलेजियम की तरह हाई कोर्ट के सभी चीफ जस्टिस द्वारा किया जाना चाहिए। तीसरे सदस्य का चुनाव केंद्रीय कैबिनेट द्वारा किया जाना चाहिए। चौथे सदस्य का चुनाव लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा एवं राज्यसभा में सभी विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक द्वारा किया जाना चाहिए। पांचवें सदस्य का चुनाव मुख्य निर्वाचन आयुक्त, कैग, सीवीसी और संघ लोक सेवा आयोग के चेयरमैन से बने एक कोलेजियम द्वारा किया जाना चाहिए। इस तरह के आयोग पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जा सकेगा। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज भी अपनी पसंद के उम्मीदवार को नहीं चुन सकेंगे।

-शांति भूषण [पूर्व कानून मंत्री]

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