नए तंत्र में एक नेशनल ज्युडिशियल ओवर साइट कमेटी होगी। इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्य न्यायाधीश होंगे और सदस्य सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश व किसी एक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश होंगे जिन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश नामित करेंगे। एक सदस्य राष्ट्रपति नामित करेंगे। इसके अलावा एटार्नी जनरल कमेटी के पदेन सदस्य होंगे।

* शिकायत कमेटी के पास आएगी जो जांच के लिए स्क्रूटनी पैनल के पास भेजेगी। सुप्रीम कोर्ट और प्रत्येक हाई कोर्ट में ऐसी शिकायतों की जांच के लिए एक स्क्रूटनी पैनल होगा। स्क्रूटनी पैनल तीन महीने के भीतर शिकायत की जांच करके ओवर साइट कमेटी को अपनी रिपोर्ट दे देगा। लेकिन अगर भारत के मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत होगी तो वह जांच के लिए स्क्रूटनी पैनल को नहीं भेजी जाएगी, ओवर साइट कमेटी स्वयं उसकी जांच करेगी। स्क्रूटनी पैनल की रिपोर्ट में अगर आरोप सही बताए जाते हैं तो ओवर साइट कमेटी आरोपों की जांच के लिए एक जांच कमेटी बनाएगी। जांच कमेटी छह महीने में जांच करके अपनी रिपोर्ट ओवर साइट कमेटी को सौंप देगी। रिपोर्ट देखने के बाद अगर ओवर साइट कमेटी को लगता है कि आरोपी जज ने प्रथमदृष्टया किसी कानून का उल्लंघन किया है तो वह सरकार से आरोपी जज के खिलाफ कानून के मुताबिक कार्रवाई की सिफारिश कर सकती है। इसके अलावा अगर जांच में आरोपी जज के खिलाफ कदाचार के आरोप सही पाए गए तो ओवर साइट कमेटी आरोपी न्यायाधीश से इस्तीफा देने को कहेगी। न्यायाधीश के इस्तीफा नहीं देने पर वह राष्ट्रपति को आरोपी न्यायाधीश को पद से हटाने की कार्रवाई करने की सलाह देगी। राष्ट्रपति इस सलाह पर मामला संसद को भेजेंगे और संविधान में दी गई प्रक्रिया का पालन करते हुए न्यायाधीश को पद से हटाया जाएगा।

* इसके अलावा यदि जांच में न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायतकर्ता को पांच साल तक कैद की सजा हो सकती है।

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