हर व्यक्ति के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब उसे लगता है कि सभी चीजें उसके विरोध में हैं और वह कितना ही अच्छा क्यों न कर ले, लेकिन उसके हाथ असफलता ही लगेगी। ऐसे समय में व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचारों का मेला उमड़ पड़ता है। ऐसी मनोदशा में व्यक्ति आत्महत्या करने तक की सोचने लगता है। आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि ऐसे समय में व्यक्ति को कहीं से छोटी-सी प्रेरणा मिल जाए, तो यह संभव है कि वही व्यक्ति भविष्य में ऐसा इतिहास रच दे कि लोग दांतों तले अंगुली दबाने लगें। जब हम किसी को प्रेरित करते हैं, तो उसका आत्मसम्मान बढ़ जाता है। इस वजह से व्यक्ति असंभव लगने वाले कार्य को भी संभव कर देता है। असल में हर व्यक्ति की अपनी सीमाएं और क्षमताएं होती हैं, लेकिन कई बार जीवन में विपरीत स्थिति आने पर व्यक्ति को अपनी क्षमताओं पर ही शंका होने लगती है। क्षमता होने के बावजूद उसे अपनी सफलता संदिग्ध नजर आती है। ऐसी स्थिति में उसे यह प्रेरणा मिले कि वह संबंधित कार्य को सफलतापूर्वक कर सकता है, तो यकीन मानिए कि कार्य की पूर्ण सिद्धि के लिए वह अपनी पूरी ताकत लगा देगा।
रामायण में हनुमान जी को उनका बल याद दिलाने पर वे पूरा पहाड़ उठा ले आए थे। स्वामी विवेकानंद कहते हैं कि अगर तुम ठान लो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। तुम महात्मा बुद्ध बनना चाहोगे, तो वही बन जाओगे। कोई व्यक्ति बाह्य कारणों से भी प्रेरित होकर उत्कृष्ट कार्य कर सकता है, लेकिन व्यक्ति की भीतरी प्रेरणा ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। बाहर से ली गई प्रेरणा कुछ समय के लिए ही होती है, पर जब व्यक्ति अपने अंतर्मन से प्रेरित होकर कार्य करता है, तो वह न केवल लंबे समय तक टिकाऊ होती है, बल्कि उसके परिणाम हमेशा अच्छे होते हैं। आंतरिक प्रेरणा प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय यह है कि जब भी आप अपने जीवन से निराश-हताश हों, तब उन क्षणों को याद करना चाहिए, जब आपने बहुत अच्छा काम किया हो। किसी व्यक्ति की आंतरिक प्रेरणा तभी जाग्रत होगी, जब उसे अपना लक्ष्य मालूम होगा। समुद्र किनारे खड़ा जहाज सुरक्षित होता है, पर क्या उसे बनाने का उद्देश्य यही है? जहाज की तरह हर व्यक्तिको अपना एक उद्देश्य बनाना चाहिए। जब लक्ष्य होगा, तभी चुनौतियों भी होंगी। हालांकि लक्ष्य हमेशा बड़ा होना चाहिए, लेकिन उसे छोटे रूप में शुरू कीजिए। छोटी-छोटी कामयाबियां ही आपको आपके लक्ष्य तक पहुंचाएंगी।
[ महर्षि ओम ]