जैव विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड में अवैध खनन के चलते राजस्व व पर्यावरण की क्षति की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इसे देखते हुए खनन माफिया पर अंकुश लगाकर वैध खनन को बढ़ावा देना होगा।
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उत्तराखंड में सक्रिय खनन माफिया अभी भी भयमुक्त है। नदियों में बेखौफ हो रहा अवैध खनन तो यही बयां कर रहा है। सूबे का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा, जहां खननकारी नदियों का सीना तार-तार न कर रहे हों। जाहिर है, अवैज्ञानिक ढंग से हो रहे खनन से जहां नदियों से भू-कटाव की दिक्कत सामने आ रही, वहीं लोगों को निर्माण सामग्री महंगी दरों पर खरीदने के लिए विवश होना पड़ रहा है। साथ ही सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की चपत लग रही सो अलग। बावजूद इसके अवैध खनन पर अंकुश लगाने की दिशा में माफिया के आगे सिस्टम बेबस नजर आता है। उम्मीद थी कि सूबे में निजाम बदलने के बाद खनन माफिया पर नकेल कसी जाएगी, लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ। यही वजह है कि अवैध खनन का सिलसिला बदस्तूर जारी है। विकासनगर, रुड़की, देहरादून समेत सूबे के अन्य स्थानों पर बेखौफ खनन हो रहा है। सूरतेहाल बताता है कि खननकारियों पर सिस्टम का कोई भय नहीं है। यदि होता तो विकासनगर और रुड़की में पुलिस अभिरक्षा में दिए गए खनन में पकड़े गए वाहन को इनके चालक भगा नहीं ले जाते। अंदाजा लगाया जा सकता है कि खनन माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं। दरअसल, ऊपरी पहुंच और रसूख के चलते खनन माफिया पर हाथ डालने में तंत्र के नुमाइंदे भी कतराते आए हैं। पूर्व में जब कभी भी अधिकारियों ने अवैध खनन के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई की तो उन्हें प्रोत्साहित करने की बजाए तबादले का ईनाम दे दिया गया। यह भी एक वजह है माफिया पर हाथ न डालने के पीछे। यही नहीं, कई मामलों में मिलीभगत की बातें भी सामने आई हैं। कुल मिलाकर अवैध खनन पर अंकुश लगाने में सिस्टम की बेरुखी और माफिया की करतूत का खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है। इसे देखते हुए लंबे समय से मांग उठ रही है कि नदियों को वैध खनन के लिए खोलकर यह कार्य सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कराया जाए। इससे उन एजेंसियों को संजीवनी मिलेगी, जो अस्तित्व बचाने की जिद्दोजहद कर रही हैं। साथ ही वैज्ञानिक ढंग से उपखनिज चुगान होने पर नदियों के साथ ही संबंधित क्षेत्र का पर्यावरण भी महफूज रहेगा। इसके अलावा आमजन को रियायती दर पर सुलभता से निर्माण सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य की नई सरकार इस मसले पर गंभीरता से विचार कर नदियों में वैध खनन को बढ़ावा देगी। साथ ही खनन माफिया पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाएगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]