शैलेश त्रिपाठी

हम जिस जमाने में रह रहे हैं उसमें कब कोई कौन सी राह पकड़ ले और कौन सा राग अलापने लगे, इसका कोई ठिकाना नहीं। ऐसा क्यों है, यह जानने के लिए हम बाबा कपटानंद से मिलने गए तो हमारे सवाल करने से पहले ही वह बोले, बच्चा। यह दुनिया तो हमारे जैसे लोगों से ही चल रही है। आज हर तरफ कपटानंदों का ही बोलबाला है। हैरान न हो, वे सब लोग कपटानंद ही हैं जिन्हें कपट करने में आनंद आता है। उन्होंने अखबार उठाकर यह खबर सुनाई कि अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने का फैसला किया है। हमने इस पर हैरानी जताई तो वह बिना हैरान हुए बोले, याद है तुम्हें? जब यह समझौता हुआ था तो अमेरिका ने सबको यह समझाया था कि यह बड़े फायदे का समझौता है और सबको उसे मानना चाहिए। आज वही अमेरिका यह समझाने में लगा हुआ है कि यह समझौता बड़ा खराब है। जो सज्जन यह समझाने में लगे हुए हैं वे वही हैं जो कल तक सबको यह समझा रहे थे कि आतंकवाद को अमुक देश फैला रहा है, लेकिन उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए इसी देश को चुना। हमने कहा कि क्या आप डोनाल्ड ट्रंप की बात कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि हां, लेकिन उनका असली नाम ट्रंपानंद है। हमने पूछा कि लोग कह रहे हैं कि पेरिस समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद चीन की चांदी हो गई है और उसे जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का नेतृत्व करने का मौका बैठे-ठाले मिल गया है। चीनी नेता यह बयान भी दे रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर पालन ईमानदारी से करना चाहिए। कपटानंद महाराज बोले, उनसे कोई यह तो पूछे कि आखिर इसी तरह अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसलों का सम्मान क्यों नहीं करना चाहिए? कपटानंद बाबा ने शिकायती स्वर में कहा कि हमें कपटानंदों की सही पहचान नहीं। देखो वे हमारे पड़ोस में भी हैं। वे हर दिन यह कहते हैं कि हम आतंकवाद का शिकार हैं, लेकिन उनका असली काम आतंकियों को पनाह देना, उनसे दोस्ती करना है और उन्हें बम बनाना सिखाना है। बाबा कुछ और बोलने के पहले, पोटली से गुटखा निकालकर खाने लगे। हमने अचरज से पूछा, बाबाजी यह क्या? वह बोले, यह बड़े फायदे की चीज है, लेकिन जनता अनजान है। हम हैरान थे, लेकिन कपटानंद जी गुटखा-तंबाकू पर विधिवत प्रकाश डालने के मूड में थे। वह शुरू हो गए.. देखो बच्चा, बीड़ी-सिगरेट या अन्य किसी रूप में तंबाकू के अत्यधिक सेवन से व्यक्ति कभी बूढ़ा नहीं होता। इन पदार्थों के अत्यधिक सेवन से वह कैंसर टीबी आदि घातक बीमारियों से ग्रसित होकर जवानी में ही दुनिया छोड़ कर निकल लेता है जिससे उसे बुढ़ापे के कष्ट भोगने नही पड़ते। तमाम लोगों के असमय काल के गाल में समा जाने की वजह से देश की जनसंख्या भी नियंत्रित रहती है। तंबाकू के अत्यधिक सेवन से घर में समृद्धि आती है, बंदा जब अल्पायु में ही निकल लेता है तो बीमा कंपनियां खूब पैसा देती हैं जिससे घर में समृद्धि आती है। अत्यधिक मात्रा में तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति के घर और आस पड़ोस में कभी चोरियां नही होती, क्योंकि तंबाकू का सेवन करने वाला बंदा टीबी आदि बीमारियों से ग्रसित होकर रात-रात भर जाग जाग कर इतनी जोर जोर से खांसता है कि चोर टाइप के तत्व उधर नहीं फटकते और मुहल्ला सुरक्षित रहता है।
कपटानंद ने धाराप्रवाह बोलते हुए कहा, तंबाकू के सेवन से घर में भी शांति रहती है। शाम को थका हारा पति जब घर लौटता है और कर्कश बीबी यदि कोई बात बोलती भी है तो मुंह में गुटका भरा हुआ बंदा गुटके की वजह से चुपचाप सुन लेता है जिससे झगड़ा और नही बढ़ता। इसके अलावा शोध बताते हैं कि मुंह में गुटका भरा बंदा बच्चों को भी बहुत कम हड़काता है जिससे बच्चे भी बहुत खुश रहते हैं। बाद में तो बंदा दुनिया ही छोड़ निकल ही लेता है तो घर में पूरी तरह से ओम शांति शांति टाइप की शांति छा जाती है।
हमने कपटानंद से पूछा, बाबा आजकल तीन तलाक बहुत चर्चा में है। इसका क्या समाधान निकल सकता है? वह तत्काल बोले, गुटखे से तीन तलाक जैसे बड़े मामलों से भी निपटा जा सकता है। हमने हैरानी से पूछा कैसे? वह बोले ऐसे..मान लो मुंह में गुटखा भरा बंदा यदि तीन बार तलाक बोल भी दे तो वो सुनने समझने योग्य नही होगा, सो तलाक मान्य नहीं होगा। तंबाकू से तो सामाजिक समरसता भी खूब बढ़ती है। बड़ा आदमी भी बिना जाति-संप्रदाय का भेद किए आंखों से ही इशारा करता है और हाथ फैला कर खैनी मांग लेता है। इससे सामाजिक विभेद मिटता है। आंखों ही आंखों में इशारा टाइप गीत की रचना संभवत: किसी के द्वारा खैनी मागने के दृश्य से प्रेरित होकर हुई होगी। गुटखा, सिगरेट, खैनी से राजनीति में भी काफी शुचिता आती है। मुंह में गुटखा भर के बंदा यदि कोई उल्टा सीधा बयान भी देगा तो लोगों की समझ में नही आने वाला और अगर कोई समझ भी गया और विवाद भी खड़ा हो गया तो बंदा तत्काल मुकर सकता है कि मैंने तो यह नही यह कहा था। बाबा ने यह भी बताया कि देखो कैसे तंबाकू का सेवन करने वालों का खर्च बहुत कम होता है। ज्यादा चूना लगे जर्दा-पान के सेवन से मुंह अंदर ही अंदर काफी कट जाता है जिससे अगला तीखा मसालेदार खाना नहीं खा पाता और इससे भी खर्च में कमी आती है। अगला जितने दिन जीता है मोटापे आदि से दूर रहता है। हम कपटानंद जी का प्रवचन सुनने की सहनशक्ति खो रहे थे, लेकिन बाबा अभी भी लय में थे। हमने कहा कि बाबाजी आप चाहते क्या हैं? वह बोले, हम चाहते हैं कि सब कोई गुटखा-तंबाकू विरोध की कड़ी निंदा करे।

[ हास्य-व्यंग्य ]