यूरोप में पुलिस छापे और हिंसा रोज की घटनाएं बनती जा रही हैं। यह एक ऐसा इलाका बन गया है जिस पर लगातार खतरा बना हुआ है। पेरिस में पिछले दिनों हुए हमले के बाद मार्सेल्स शहर के एक यहूदी स्कूल में इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने एक शिक्षक को चाकू मार दिया। पेरिस हमले के संदिग्ध षड्यंत्रकारी अब्देल हामिद अबाउद को मार गिराने के बाद फ्रांसीसी अधिकारी अपने खुफिया तंत्र को दुरुस्त कर रहे हैं। अबाउद का मामला सुरक्षा बलों के लिए कई गंभीर सवाल खड़े करता है। वह फ्रांस और बेल्जियम की वांटेड सूची में काफी ऊपर था और फिर भी उसने अपनी पहचान छोड़े बिना सीरिया से पेरिस तक यात्रा कर ली।

पेरिस पर हमला करने वालों में से एक बिलाल हदफी से जुड़े लोगों को पकडऩे के लिए बेल्जियम की पुलिस भी अपने यहां छापेमारी कर रही है। स्वीडन भी अलर्ट पर है। वहां प्रशासन ने खतरे की आशंका का स्तर बढ़ा दिया है। उन्होंने संभावित हमले की 'पुख्ता सूचना ' होने का दावा किया है। ब्रिटेन को भी हिंसा की आशंका है और वह भी इससे निपटने की तैयारी कर रहा है।

माना जाता है कि यूरोप से सीरिया जाकर वहां संघर्ष करने वाले 5800 से ज्यादा संदिग्ध लोगों के बारे में इंटरपोल पता लगा रहा है। तुर्की ने मोरक्को के काफी सारे लोगों को वापस भेजा है और इस्तांबुल में अतातुर्क हवाई अड्डे तक पहुंचने पर कुछ अन्य ऐसे लोगों को रोक रखा गया है जिन पर आइएस से जुड़े होने का संदेह है। इस्तांबुल में राष्ट्रपति रिसेप तैयप इरदोगान ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ 'मुस्लिम देशों के सभी नेताओं से अपनी एकता दिखाने की अपील की है।

इस बीच मध्य पूर्व में बड़ी शक्तियों की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। 31 अक्टूबर को सिनाई में मेट्रोजेट दुर्घटना की वजह बम थी, इसकी घोषणा किए जाने के बाद रूस ने फ्रांस के साथ मिलकर सीरिया में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर बमबारी शुरू कर दी है। रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने समन्वित हवाई हमलों पर सहमति जताई है। दोनों नेता इस माह के अंत में मास्को में मिलेंगे। रूसी अधिकारियों ने हमलों के बारे में अमेरिका को पहले ही सूचना दी। ऐसा अक्टूबर में अमेरिका और रूस के बीच प्रोटोकॉल पर सहमति के बाद पहली दफा हुआ। रूस ने दावा किया कि उसने उन कमान सेंटरों पर निशाना साधा है जहां से इस्लामिक स्टेट इदलिब और अलेप्पो में अपने अभियानों का समन्वय करता है। इन इलाकों पर क्रूज मिसाइल हमले भी किए गए। हालांकि इस्लामिक स्टेट इन क्षेत्रों में सक्रिय नहीं है।

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद रूस और अमेरिका के बीच खाई पाटने की उम्मीद रखते हैं, लेकिन सीरिया में संघर्ष में तीनों देशों के बीच ठोस सैन्य गठबंधन बनने की संभावना पेचीदा बनी हुई है। अमेरिकी ओर रूसी अधिकारियों के लक्ष्य अलग-अलग हैं। ये लक्ष्य सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को हटाने से लेकर कम से कम उनके इर्द-गिर्द ही सत्ता तंत्र के विकास तक फैले हुए हैं। वे इस बात पर भी लड़-झगड़ रहे हैं कि सीरिया में जायज लक्ष्यों पर बम बरसाने में कौन बेहतर तरीके से काम कर रहा है। फ्रांस और रूस ने इस्लामिक स्टेट आतंकियों के हाथों अभी गहरी पीड़ा झेली है, लेकिन वाशिंगटन और काफी हठी होते जा रहे मास्को के बीच दुनिया के महत्वपूर्ण हिस्से में अपने प्रभाव के लिए तकरार संघर्ष के भविष्य की दिशा तय करेगी। एक बड़ी समस्या यह है कि रूस और अमेरिका, दोनों ही यह स्वीकार करने से इंकार कर रहे हैं कि दूसरा देश सीरिया में कैसा युद्ध लड़ रहा है।

अमेरिका ने सीरियाई तेल खदानों और आइएसआइएस के तेल टैंकर काफिलों पर भी नए सिरे से हवाई हमले किए हैं। इसे ऑपरेशन टाइडल वेव 2 नाम दिया गया है। इसका लक्ष्य इस्लामिक स्टेट की तेल से होने वाली आमदनी को समाप्त करना है। इस तरह की आमदनी लाखों करोड़ डॉलर सालाना होने का अनुमान है। अब तक अमेरिकी युद्धक विमान सीरियाई तेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सामान्य ढंग से ले रहे थे, लेकिन अब वे उस पर टूट पड़े हैं।

इस साफ संकट के बावजूद पश्चिमी रवैये में विपरीत भाव बना हुआ है। अमेरिकी रक्षा और विदेश विभाग यमन में काफी विवादास्पद हवाई युद्ध में हाउती पर बमबारी के महीनों बाद सऊदी अरब को 22 हजार बम बेचने के लिए 1.2 अरब डॉलर के समझौते के लिए सहमत हुए ताकि वहां के शासन तंत्र को शस्त्र भंडार को फिर दुरुस्त करने में मदद मिले। दोनों देशों के बीच मुख्य सीमा के पार नियंत्रण के लिए पूर्वी सीरिया में दो हजार से अधिक सीरियाई अरब लड़ाकों का आक्रमण भी शुरू हो गया है। इस संघर्ष का नेतृत्व एक संयुक्त समूह कर रहा है जो अपने को नई सीरियाई सेना कहता है। यह औसत दर्जे का इस्लामी समूह है, जो सीरिया के विभिन्न इलाकों में 2200 लड़ाकों के साथ काम करने का दावा करता है। रूढि़वादी सऊदी आतंकी खलेद अल हमद इस समूह का नेतृत्व करता है। इसके कुछ हिस्सों को अमेरिकी मदद, हथियार और ट्रेनिंग मिली हुई है, क्योंकि उन्होंने इन अमेरिकी प्रतिबंधों को मान लिया है कि उनका पहला लक्ष्य इस्लामिक स्टेट से संघर्ष करना होगा और न कि राष्ट्रपति बशर असद की सरकार के खिलाफ संघर्ष करना।

सीआइए निदेशक जॉन ब्रेनम को लगता है कि इस्लामिक स्टेट पेरिस हमले के बाद अभी पश्चिम के खिलाफ और भी आतंकी हमले की योजना पर काम कर रहा है। बेनन ने अमेरिकी सरकार के निगरानी कार्यक्रमों को लेकर एडवर्ड स्नोडेन के खुलासों के बाद नई निजता सुरक्षाओं की आलोचना की है। बेनन ने साफ किया है कि मैं इस तरह की सोच रखता हूं कि यह एकमात्र हमला नहीं है जो (इस्लामिक स्टेट) की योजना में हो। उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टेट सीरियाई और इराकी सीमाओं के अंदर ही हिंसा करना जारी नहीं रखेगा। पश्चिम और वृहत्तर दुनिया जिस तरह का खतरा झेल रही है उसे देखते हुए वाशिंगटन और मास्को एक साथ आते हैं या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। अगर वर्तमान रवैया जारी रहना है तो दुनिया को सांस रोककर इंतजार नहीं करना चाहिए।

[लेखक हर्ष वी. पंत, लंदन के किंग्स कालेज में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्राध्यापक हैं]