सपना

आखिरकार वही हुआ, जिसकी आमजन को आशंका थी। निजाम बदलने के साथ जिस काला धन को वापस लाकर देश की बदरंग सूरत को बुलंद किए जाने के सपने लोगों ने देखे थे, वे धूमिल होते दिख रहे हैं। काला धन मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सरकार की तेजी का कुछ ऐसा घालमेल हुआ कि मामला अभी तक सिफर जैसा ही है। विदेश में जमा काले धन के मामले में देश आज वहीं खड़ा है जहां पूर्व की सरकारों के दौरान रहा था। ऐसे में लोगों की आशंकाओं को गैरवाजिब नहीं कहा जा सकता है।

विदेश में खाता धारकों के नाम उजागर करने के पीछे आ रही दिक्कतों के लिए सरकार द्वारा की गई अंतरराष्ट्रीय संधियों का हवाला दिया जाता रहा है। इन संधियों के प्रावधान के अनुसार काले धन के खाता धारकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए बगैर उनके नाम उजागर नहीं किए जा सकते। इसके साथ ही कुछ कर शास्त्रियों और अर्थविदें की यह भी दलील है कि विदेश में जमा काला धन अपनी पूर्णता का अंश मात्र ही है। ज्यादातर मात्रा में काला धन यहीं देश की चौहद्दी में ही पुष्पित पल्लवित हो रहा है। जो विदेश भेजा भी जाता है वह भी घूमकर यहीं आ जाता है। ऐसे में क्या यह जरूरी नहीं है कि हम देश में मौजूद काले धन की पड़ताल पर ज्यादा जोर दें? यहां से भेजे जाने वाले धन को रोकें और विदेश से रूप बदलकर आने वाले काले धन की पहचान करें। साथ ही देश में सृजित होने वाले नए काले धन की पहचान करें।

अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो जरूर हमारी नियामक संस्थाओं और नियम-कानूनों में कहीं न कहीं खोट है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन नियम-कानूनों के उपबंधों की काट काले धन के साम्राज्य की जड़ों को ऑक्सीजन दे रही हों और भ्रष्ट प्रशासन उन्हें खाद और पानी से सिंचित कर रहा हो। ऐसे में काले धन के कड़वे सच को जानना, समझना और उस हिसाब से कदम उठाना आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है।

जनमत

क्या देश की मौजूदा कर प्रणाली की विसंगतियां लोगों को काला धन जमा करने पर मजबूर कर रही हैं?

हां 65 फीसद

नहीं 35 फीसद

क्या विदेश में काला धन जमा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने में मोदी सरकार पूर्ववर्तियों की तुलना में अधिक संकल्पित है?

हां 90 फीसद

नहीं 10 फीसद

आपकी आवाज

लोगों को विश्वास हो गया है कि सरकार काला धन भारत वापस लाएगी। -रितेश श्रीवास्तव

मोदी सरकार ज्यादा सक्रिय है। सरकार इस दिशा में क्रियाशील लग रही है। -अमिताभ श्रीवास्तव

इसमें कोई दो राय नहीं कि मौजूदा कर प्रणाली में सुधार की जरूरत है। -अजय तिवारी

पिछले वर्षों में लाखों-करोड़ कालाधन बना परंतु कोई दंडित नहीं हुआ। नियमों का कठोरता से पालन अपेक्षित है। -अंजनि कुमार श्रीवास्तव

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