हर व्यक्ति की आकांक्षाएं, सपने, इच्छाएं और शौक होते हैं। कई बार व्यक्ति के शौक उसके व्यक्तित्व के विपरीत होते हैं। मसलन साधारण रूप-रंग वाले भी मॉडलिंग और फिल्म जगत में अपना नाम कमाने की इच्छा रखते हैं, लेकिन कई यह सोचकर इस बात को अपने दिल के कोने में दबा देते हैं कि उनकी इस इच्छा को देखकर लोग उनके बारे में क्या कहेंगे? इसी तरह यदि कोई व्यक्ति कुप्रवृत्तियों की चपेट में आकर गलती कर बैठता है तो उसका पूरा परिवार स्वयं को समाज से काटकर तनाव का शिकार होकर घातक कदम उठा लेता है। इस बारे में एक प्रसिद्ध विद्वान ने यह निष्कर्ष निकाला था कि ‘लोग क्या कहेंगे’ यह बात व्यक्ति अपने मन से निकाल दें, क्योंकि लोग किसी के बारे में कुछ नहीं सोचते हैं। यदि सोचते तो दुनिया में परेशानी नाम की कोई चीज नहीं होती। जिनका काम सिर्फ कुछ न कुछ कहना है, वह तो कहते ही रहेंगे। इसलिए सोचने के बजाय आप अपना काम करें, क्योंकि वह न तो आपकी सफलता के लिए मदद करेंगे और न ही असफलता में मदद करने आएंगे।
डेल कारनेगी अपनी पुस्तक ‘हाऊ टू स्टॉप वरिंग एंड स्टार्ट लिविंग’ में लिखते हैं कि हममें से ज्यादातर लोग निंदा के छोटे-छोटे तीरों और भालों को जरूरत से ज्यादा गंभीरता से लेते हैं। अक्सर निंदा करने वाले लोग नकारात्मक भावों से ग्रस्त रहते हैं और अपने जीवन को भी बोझ बना लेते हैं। इसके विपरीत सफल, प्रसन्न, स्वस्थ और प्रभावशाली व्यक्ति हर समय सकारात्मक और ऊर्जायुक्त विचारों का ही प्रयोग करते हैं। इसलिए वे बाधाओं पर भी सहजता से विजय पा लेते हैं। स्वास्थ्य अनुसंधानों से यह प्रमाणित हुआ है कि जो व्यक्ति सकारात्मक विचारों को महत्व देते हैं उनमें इंडोर्फिन नामक हार्मोन अधिक पाया जाता है। अरुणिमा सिन्हा ने जब एक दुर्घटना के बाद माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की बात कही तो निंदकों ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार तक कह डाला था। उन्होंने निंदा की चिंता न करते हुए इस बात की चिंता की कि वह कैसे एवरेस्ट के शिखर तक पहुंच सकती हैं। इसलिए जब कोई आपकी निंदा करे तो धैर्य, मुस्कराहट का छाता खोलकर निंदा की बारिश से स्वयं को बचाएं और जीवन सफल बनाएं। लोगों द्वारा की जाने वाली निंदा से विचलित हुए बगैर अपने पथ पर आगे बढ़ते रहें, निश्चित रूप से सफलता आपकी झोली में होगी और निंदकों का मुंह बंद हो जाएगा।
[ रेनू सैनी ]