व्यक्तित्व रोशन करें
दीपावली के त्योहार से कई दिन पहले घरों की साफ-सफाई होनी आरंभ हो जाती है। एक दीपक भी रोशनी की किरण फै
दीपावली के त्योहार से कई दिन पहले घरों की साफ-सफाई होनी आरंभ हो जाती है। एक दीपक भी रोशनी की किरण फैलाकर समूचे वातावरण में फैले अंधकार को दूर कर देता है। 21वीं सदी में असंख्य लड़ियों, रंग-बिरंगे बल्बों ने भी मिट्टी के दीपक की कीमत को कम नहीं किया है। इसके पीछे प्रमुख कारण यही है कि आज भी एक बल्ब या लड़ी से दूसरी लड़ी को रोशन नहीं किया जा सकता, जबकि मिट्टी के एक दीपक से असंख्य दीपकों को जलाकर रोशनी की जा सकती है। दीपावली पर हम दीपक व बल्बों की रोशनी के साथ ही अपने व्यक्तित्व को भी रोशन करें, तो हर दिन दिवाली होगी। व्यक्ति अपने क्रोध, ईष्र्या, द्वेष आदि को हर पल अपने साथ लगाकर रखता है। कुछ लोग दिवाली का उपहार या मिठाई एक परंपरा समझकर देते हैं, सच्ची शुभकामनाओं व भावनाओं के साथ नहीं। सच्ची शुभकामनाएं हमारे हृदय से तभी निकलती हैं, जब हम सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं और हर किसी की दिल से शुभाकांक्षा के इच्छुक होते हैं। दीपक का प्रकाश यदि हमारे व्यक्तित्व को प्रकाशित और आलोकित कर दे, तो अंदर बसे अवगुण जो अंधकार में ही पलते हैं, दूर हो जाएंगे। उपनिषद् में भी कहा गया है कि 'तमसो मा च्योतिर्गमय' यानी अंधकार से प्रकाश की ओर चलें। अंधकार से घिरा हुआ व्यक्ति भटक जाता है, लेकिन यदि प्रकाश का स्त्रोत उसके साथ हो, तो वह गहन अंधकार को भी पार कर अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है।
प्रकाश के साथ मंजिल पाने पर उसे एक अद्भुत, नवीन और खूबसूरत अनुभूति होती है। दीपक को आत्मा, ब्रह्म और ज्ञान का प्रतीक माना गया है। यह आध्यात्मिक और भौतिक आनंद और प्रगति का भी द्योतक है। दीपक की च्योति मन के अध्यात्म को आलोकित करती है, उसे नई दिशा दिखाती है। यदि हमारी आत्मा आंतरिक रूप से शुद्ध और स्वच्छ होकर जाग्रत हो उठती है, तो हमारा शरीर भी स्वच्छता, सत्य, परोपकार, करुणा और प्रेम का साथ पाकर चमक उठता है। शांति के साथ रहने वाले व्यक्ति का चेहरा तेज से प्रदीप्त हो उठता है और वह अन्य लोगों को भी मार्ग दिखाता है। इससे उसके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों का जीवन भी संवर जाता है। बाहर दीप जलाने पर केवल बाहर का अंधकार दूर होता है जबकि व्यक्तित्व को निखारने से अंतस आलोकित हो जाता है।
[रेनू सैनी]