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..कह उठते हैं, हम हैं तैयार चलो

रिकिन गांधी चाहते तो लाखों डॉलर की नौकरी पा सकते थे। उन्होंने मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। लेकिन उन्होंने किसानों की मदद करने का बीड़ा उठाया। संचयिता गजपति का भी करियर ब्राइट था, लेकिन उन्होंने अंडरप्रिविलेज्ड कम्युनिटी के लिए काम करने का फैसला लिया। यूथ का सामाजिक सरोकारो

By deepali groverEdited By: Published: Mon, 06 Oct 2014 10:15 AM (IST)Updated: Mon, 06 Oct 2014 10:29 AM (IST)
..कह उठते हैं, हम हैं तैयार चलो

रिकिन गांधी चाहते तो लाखों डॉलर की नौकरी पा सकते थे। उन्होंने मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। लेकिन उन्होंने किसानों की मदद करने का बीड़ा उठाया। संचयिता गजपति का भी करियर ब्राइट था, लेकिन उन्होंने अंडरप्रिविलेज्ड कम्युनिटी के लिए काम करने का फैसला लिया। यूथ का सामाजिक सरोकारों से यूं जुड़ना बताता है कि वे समस्या से भागने के बजाय अपनी टीम बनाते हैं और कह उठते हैं, हम हैं तैयार चलो। यशा माथुर की एक रिपोर्ट।

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कौन कहता है कि यूथ जिम्मेदार नहीं है,उसे सामाजिक मुद्दों से कुछ लेना-देना नहीं है? सोसायटी में बदलाव लाने की उसे चाहत नहीं? हम यूथ को बेशक लापरवाह समझें, सेल्फ एटीट्यूड का मारा समझें या फिर आसपास की दुनिया से बेखबर, लेकिन सच्चाई यह नहीं है। आज के यूथ को समाज में कोई खामी दिखाई देती है तो वह उसको दूर करने की मुहिम में जुट जाता है। बेजुबान जानवरों पर प्यार लुटाता है। सेक्स वर्कर्स के समर्थन में खड़ा हो जाता है। बाल मजदूरी के खिलाफ बीड़ा उठा लेता है। साफ पानी, किसानों के मसले पर जिरह करता है। बस जरूरत है तो सिर्फ इरादों को बुलंद बनाने और हौसले को कायम रखने की। क्योंकि जब युवा दिल से काम करता है तो नई इबारत लिख देता है।

हक मिलें सेक्स वर्कर्स को

अमित कुमार की 25 साल की उम्र थी, अच्छा-खासा करियर भी था, लेकिन सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकार दिलाने और उनकी गरिमा को कायम करने में मदद करने के लिए उन्होंने ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स को ज्वॉइन कर लिया और काम करना शुरू कर दिया। अमित कहते हैं, 'मैं समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा रहा हूं। मुझे लगा कि इन पिछड़ी महिलाओं को कल्याण की जरूरत है। इनके बच्चों को शिक्षा की आवश्यकता है। कॉलेज में भी मन होता था कि इनके जीवन की त्रासदी पर फिल्म तैयार करूं। और जब इनके लिए काम करने का मौका मिला तो मैंने उसे छोड़ा नहीं। आज जब इनकी समस्या से संबंधित विषयों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रखता हूं तो बहुत संतोष होता है।'

गहरा कनेक्शन है मेरा

पॉप सिंगर और अपने पहले इंटरनेट म्यूजिक बैंड की मार्फत लिमका बुक में अपना नाम द़र्ज करवाने वाली सागरिका देब का बचपन से ही स्ट्रीट डॉग्स के साथ लगाव रहा है। वे रात को इनके बीच सुकून के साथ कुछ समय गुजारती हैं। इनके अनकंडिशनल लव को पहचानते हुए वे कहती हैं, 'ये घर के बाहर बैठे रहते हैं मेरे इंतजार में। इनका प्यार अनकंडिशनल है। मैंने क्या कपड़े पहने है, मैं कैसी दिखती हूं.. इससे उन्हें कोई मतलब नहीं। एक दिन अपने हाथ से खाना न भी दूं तो भी उनका प्यार कम नहीं होता। गहरा कनेक्शन है मेरा उनसे। अपने गाने से पैसे कमाकर उनके लिए शेड बनाना चाहती हूं।' सागरिका को लगता है कि इनकी दुआओं से ही वे तरक्की के पथ पर अग्रसर हैं।

मिशन चाइल्ड लेबर

ईशान सिंह आइटी में इंजीनियरिंग कर रहे हैं। फोटोग्राफी और सिनेमेटोग्राफी के अपने टैलेंट को ईशान ने बाल मजदूरी के लिए जागरुकता फैलाने में लगा दिया है। वे दिल्ली की गलियों में चाइल्ड लेबर अवेयरनेस के लिए घूमते हैं। बताते हैं ईशान, 'उदास बच्चों से बात करता हूं। इनके फोटो खींचता हूं और सोशल मीडिया पर अपलोड करता हूं। उन्हें शिक्षा के बारे में समझाता हूं। मानता हूं कि एजुकेशन से इनकी जिंदगी बदली जा सकती है।'

इनपुट:स्मिता


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