UP में बिना परीक्षा दिए 10 हजार ने कर लिया बीएड
अंबेडकर विवि में बीएड के सबसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अधिकारियों, कर्मचारियों और कॉलेज संचालकों ने करोड़ों रुपये लेकर बीएड के अंकपत्र बांट दिए। विशेष जांच दल (एसआइटी) ने बीएड सत्र 2005-06 में 10 हजार रोल नंबर जनरेट (बिना पढ़े रिजल्ट देना) के केस पकड़े हैं।
आगरा (अजय दुबे)। अंबेडकर विवि में बीएड के सबसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। अधिकारियों, कर्मचारियों और कॉलेज संचालकों ने करोड़ों रुपये लेकर बीएड के अंकपत्र बांट दिए। विशेष जांच दल (एसआइटी) ने बीएड सत्र 2005-06 में 10 हजार रोल नंबर जनरेट (बिना पढ़े रिजल्ट देना) के केस पकड़े हैं।
इन सभी का ब्योरा विवि के चार्ट में दर्ज है, लेकिन कॉलेजों में इनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। आशंका है कि इनमें से हजारों छात्र शिक्षक की नौकरी कर रहे हैं। इस मामले में अब बड़ी कार्रवाई होने जा रही है।
हाईकोर्ट के आदेश पर विवि के बीएड सत्र 2005-06 में हुई धांधलियों की जांच एसआइटी कर रही है। टीम ने विवि से बीएड के चार्ट जब्त करने के बाद संबंधित बीएड कॉलेजों से उस सत्र में प्रवेश और परीक्षा देने वाले छात्रों का ब्योरा लिया।
इसके बाद विवि के चार्ट में दर्ज छात्रों और कॉलेज के रिकॉर्ड में परीक्षा देने वाले छात्रों का मिलान किया गया।इसमें सनसनीखेज खुलासा हुआ है। 100 बीएड कॉलेजों में 80 से 120 रोल नंबर जनरेट किए गए।
इस तरह विवि के चार्ट में 10 हजार ऐसे छात्रों का रिकॉर्ड दर्ज कर दिया गया, जिन्होंने बीएड में प्रवेश ही नहीं लिया और परीक्षा भी नहीं दी है। इन परीक्षार्थियों से 80 हजार से एक लाख रुपये तक लिए गए और चार्ट में रोल नंबर जनरेट कर मार्कशीट जारी कर दी गई।
कुलसचिव केएन सिंह ने बताया कि बीएड सत्र 2005-06 में एसआइटी की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है। एसआइटी को सभी रिकॉर्ड उपलब्ध करा दिए गए हैं। उसकी रिपोर्ट के आधार पर परीक्षाफल में फर्जीवाड़ा करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कुलपति सचिवालय स्थित कंप्यूटर सेल में हुआ खेल
बीएड सत्र 2005-06 की परीक्षा देर से कराई गई थी। एसआइटी की जांच में सामने आया है कि परीक्षाफल तैयार करने के लिए किसी एजेंसी से अनुबंध नहीं किया गया। विश्वविद्यालय के अकाउंट विभाग में भी इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।
कुलपति सचिवालय के प्रथम तल पर स्थित कंप्यूटर सेल में परीक्षाफल तैयार किया गया, लेकिन लिखित में इसे तैयार करने की जिम्मेदारी किसी को नहीं दी गई थी।